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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
प्रश्नकर्ता: हाँ, दादाजी ।
दादाश्री : तो मैं तेरा कचरा निकाल दूँगा । जिसकी इच्छा नहीं टूटी, उसका कचरा कैसे निकाल पाएँगे ?
प्रश्नकर्ता : मरते दम तक इच्छा खत्म नहीं हो तो क्या होगा ?
दादाश्री : क्या इच्छा है ?
प्रश्नकर्ता : कोई भी इच्छा हो ।
दादाश्री : अन्य सभी इच्छाएँ होंगी तो एतराज़ नहीं है, लेकिन विषय से संबंधित नहीं होनी चाहिए। एक के साथ डाइवोर्स लेकर दूसरी के साथ शादी करने की इच्छा होगी तो उसमें एतराज़ नहीं है, लेकिन शादी होनी चाहिए, यानी उसकी 'बाउन्ड्री' होनी चाहिए । 'विदाउट एनी बाउन्ड्री' तो हरहाया कहा जाएगा। फिर उसमें और ऐसे मनुष्य में कोई फर्क नहीं रहा ।
प्रश्नकर्ता : रखैल रखी हो तो ?
दादाश्री : रखैल हो तो भी वह रजिस्टर्ड होना चाहिए । फिर दूसरी नहीं होनी चाहिए।
प्रश्नकर्ता : उसमें रजिस्ट्रर्ड नहीं कर सकते, यदि रजिस्ट्रर्ड करेंगे तो जायदाद में हिस्सा माँगेगी, कई परेशानियाँ होंगी ।
दादाश्री : जायदाद तो देनी पड़ेगी, यदि आपको स्वाद चखना है तो ! सीधे रहो न एक जन्म, ऐसा क्यों करते हैं ? अनंत जन्मों से यही किया है! एक जन्म सीधे रहो न ! सीधा हुए बगैर चारा नहीं है । साँप भी बिल में जाते समय सीधा हो जाता है या टेढ़ा चलता है ?
प्रश्नकर्ता : सीधा चलता है । परस्त्री में जोखिम है, ऐसा अब आज ही समझ में आया है। अभी तक तो ऐसा ही लगता था कि, 'इसमें क्या गलत है?'
दादाश्री : आपको किसी जन्म में किसी ने 'यह गलत है', ऐसा