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समझ से प्राप्त ब्रह्मचर्य (उत्तरार्ध)
चरित्र संबंध में 'सेफसाइड' । जिसे पत्नी के चरित्र से संबंधित शांति चाहिए तो उसे एकदम काले रंग की गोदनेवाली पत्नी लानी चाहिए, ताकि जिसका कोई ग्राहक ही नहीं हो, कोई और उसे रखे ही नहीं। और वह भी ऐसा ही कहेगी कि, 'मुझे कोई रखनेवाला नहीं है, एक ये पति ही मिले हैं, वे ही रख रहे हैं।' तो वह आपके प्रति सिन्सियर रहेगी, बहुत सिन्सियर रहेगी। यदि सुंदर होगी तो लोग उसे भोगेंगे ही! सुंदर होगी तो लोगों की दृष्टि बिगड़ेगी ही! कोई सुंदर पत्नी लाए तब हमें यही विचार आता है कि इसकी क्या दशा होगी! काली गोदनेवाली होगी तो ही 'सेफसाइड' रहेगी।
पत्नी बहुत सुंदर होगी, तभी उसका पति भगवान को भूलेगा न? और पति बहुत सुंदर हो तो पत्नी भी भगवान को भूल जाती है! अतः सबकुछ अनुपात में हो तो अच्छा रहता है। अपने बुजुर्ग तो ऐसा कहते थे कि, 'खेत रखना समतल और पत्नी रखना बदसूरत।' ऐसा क्यों कहते थे? क्योंकि पत्नी यदि बहुत सुंदर होगी तो कोई नज़र बिगाड़ेगा। उसके बजाय पत्नी ज़रा बदसूरत हो तो अच्छा, ताकि कोई नज़र नहीं बिगाड़े न! ये बुजुर्ग अलग दृष्टि से कहते थे, वे धर्म की दृष्टि से नहीं कहते थे। मैं धार्मिक रूप से कहना चाहता हूँ। पत्नी बदसूरत होगी तो हमें कोई भय ही नहीं न! घर से बाहर निकले, फिर भी कोई नज़र बिगाड़ेगा ही नहीं न! अपने बुजुर्ग तो बड़े पक्के थे। लेकिन मैं जो कहना चाहता हूँ, वह वैसा नहीं है। वह अलग है। वह बदसूरत होगी न, तो अपने मन को बहुत परेशान नहीं करेगी, भूत बनकर चिपटेगी नहीं।
कैसी दगाबाज़ी यह ये लोग तो कैसे हैं? जहाँ होटल' देखा, वहाँ खाना खाते हैं'। अत: यह जगत् शंका रखने जैसा नहीं है। शंका ही दुःखदायी है। अब जहाँ होटल देखे वहाँ खाते हैं। उसमें पुरुष भी ऐसा करता है और स्त्री भी ऐसा ही करती है। फिर पुरुष को ऐसा नहीं होता कि मेरी पत्नी क्या कर रही होगी? वह तो ऐसा ही समझता है कि मेरी पत्नी तो अच्छी ही है, लेकिन उसकी