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अणहक्क की गुनहगारी
लोगों ने विषयों की लूटमार मचाई है। हम सभी से नहीं कह रहे हैं। क्योंकि 'एक्सेप्शनल केस' सभी में होता ही है। लेकिन काफी कुछ माल ऐसा हो गया है कि जो विषयों की लूटमार और अणहक्क के विषय भोगते हैं। हक़ के विषय के लिए तो भगवान ने भी मना नहीं किया है। यदि भगवान मना करें तो भगवान गुनहगार कहलाएँगे। अणहक्क के लिए तो मना करेंगे ही। यदि पछतावा करे तो भी छूट जाएगा। लेकिन यह तो
आनंद से अणहक्क का भोगता है। इसलिए पक्की गाँठ लगा लेता है, जिससे कितने ही जन्म बिगाड़ देता है। लेकिन पछतावा करे तो पक्की गाँठ ढीली पड़ जाती है और छूटने का अवसर मिलता है।
जैसे खुद की स्त्री होती है, वैसे ही हर एक के लिए उसकी स्त्री होती है। हर एक लड़की ने किसी की स्त्री बनने के लिए ही जन्म लिया होता है, वह पराया धन कहलाती है। किसी की स्त्री को किसी अन्य प्रकार से नहीं देखना चाहिए। पिछले संस्कारों की वजह से भूल से देख लिया हो, तो प्रतिक्रमण करना चाहिए। इतना ही सँभालने की ज़रूरत है। अन्य कुछ सँभालने की ज़रूरत नहीं है।
___ अणहक्क से भंग पाँचों महाव्रत यानी अपने घर के सभी लोगों पर बिल्कुल कंट्रोल रखना चाहिए, वर्ना फिर जब नाक कटेगी तो शोर मचाएँगे। खद शीलवान होगा तो उसकी बेटियाँ भी शीलवान होंगी, वर्ना जहाँ खुद का ही ठिकाना नहीं हो तो वहाँ बेटियाँ बिगड़ ही जाएँगी न फिर? फादर का व्यवहार ऐसा नहीं दिखना चाहिए कि बेटियों को मन में फादर का ज़रा सा भी दोष दिखाई दे। बेटियों को फादर का एक भी दोष नहीं दिखाई दे, फादर को अपना जीवन इस तरह से जीना चाहिए। यह भी कोई फादर है ? ये तो आधे जानवर ही हैं। फादर तो कैसे होते हैं कि बच्चों को उनके निजी जीवन के बारे में ज़रा सा भी मालूम नहीं चले।
प्रश्नकर्ता : पहले तो सामाजिक भय भी बहुत रहते थे न? दादाश्री : हाँ, उस सामाजिक भय की ज़रूरत थी। उसी भय से