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दृष्टि दोष के जोखिम
दृष्टि में फर्क होने से, वह जहाँ जाए वहाँ जाना पड़ता है। इसलिए सावधान रहना है। खुद की स्त्री के अलावा और कहीं दृष्टि बिगड़नी ही नहीं चाहिए । और कहीं दृष्टि बिगड़ी तो खत्म हो गया । मैं क्या कहता हूँ कि अन्य किसी स्त्री को मत देखना, कुदरती तेरे हिस्से में जो आई है, उसे तू भोग । किसी अन्य की स्त्री पर नज़र बिगाड़े तो वह चोरी करने के बराबर है। अपनी स्त्री पर कोई नज़र बिगाड़े तो हमें अच्छा लगेगा क्या ?
प्रश्नकर्ता : नहीं।
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दादाश्री : उसी प्रकार हमें भी नियम से रहना चाहिए। भले ही कैसी भी खूबसूरत हो फिर भी, किसी लड़की की ओर नज़र नहीं जाए, इतना सँभालने को कहा है।
प्रश्नकर्ता : पवित्र रहना है।
दादाश्री : हाँ, पवित्र रहना है। पवित्र रहने के बावजूद भी कहीं आँखें खिंच जाए और कहीं ज़रा भूल हो जाए तो हमने साबुन दिया है, उससे तुरंत दाग़ धो डालना। तुरंत नहीं धोओगे तो कपड़ा मैला होता रहेगा । इन बेचारे लड़कों की दृष्टि बिगड़ जाती है । आपको, बड़ी उम्रवालों को भी साबुन देना पड़ता है। क्योंकि यह दृष्टि तो कब बिगड़े, वह कहा नहीं जा सकता। हमने आपको स्त्री के साथ रहते हुए भी यह मोक्ष दिया है। आपसे मैं कहूँ कि स्त्री को छोड़कर यहाँ आ जाओ और उनके मन में यदि दुःख हुआ, तो फिर क्या आप कभी मोक्ष में जा सकोगे ? और मैं आपको बुलाऊँ तो मैं भी मोक्ष में जा सकूँगा क्या ? आप दोनों को भटका दिया, उसमें क्या मेरा भी मोक्ष हो सकेगा ?
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परेशानी केवल स्त्री-पुरुष दोनों आमने-सामने मिलते हैं, वहाँ पर है। वहाँ मूल दृष्टि का रोग है । दृष्टि बिगड़ जाए तो प्रतिक्रमण कर लेना। बस, इतनी ही परेशानी है ! दूसरी कोई परेशानी नहीं है । क्योंकि शास्त्रकारों ने कहा है, जगत् ने कहा है कि पेट्रोल और अग्नि दोनों साथ में नहीं रखने चाहिए। फिर भी, हमारे यहाँ ऐसा होता है तो इतना सावधान रहकर चलना है कि दियासलाई नहीं गिरनी चाहिए ।