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दृष्टि दोष के जोखिम
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हो तो, उस पर मोह होगा? तो मोह किस पर होता है? यह सोचा नहीं है न? जिस में आत्मा नहीं हो, ऐसी स्त्री पर मोह करता है कोई?
प्रश्नकर्ता : नहीं करता।
दादाश्री : तो इसका क्या कारण है? तो वह क्या आत्मा से मोह करता है? तेरी जो बीवी है न, उस पर पिछले जन्म की तेरी दृष्टि चिपक गई थी, उसका यह फल आया है।
प्रश्नकर्ता : मेरा विचार ब्रह्मचर्य लेने का है और उसका ऐसा विचार नहीं है, इसलिए वह ऐसी बिगड़ी है न!
दादाश्री : वही परवशता है न! कितनी अधिक परवशता!
प्रश्नकर्ता : और उसे तो बल्कि आश्चर्य होता है कि 'आपको मेरे प्रति आकर्षण क्यों नहीं होता?'
दादाश्री : उससे ऐसा कहना कि तू जब संडास में जाती है, फिर भी बाहर रहकर मुझे दिखाई देता है, इसलिए आकर्षण नहीं होता।
प्रश्नकर्ता : तब तो वह भड़क जाएगी।
दादाश्री : नहीं, लेकिन उसे समझ में आ जाएगा कि संडास में जाए, ऐसा दिखाई दे तो आकर्षण होगा ही कैसे? वह कैसा खराब दिखेगा? लेकिन यह भी बम फटने जैसा ही हो जाता है न? तब तो यों भी फँसाव हो गया न? लक्कड़ का लड्डू जिसने खाया, वह भी पछताया, नहीं खाया, वह भी पछताया।
दाद खुजलाए ऐसा सुख प्रश्नकर्ता : दादा, सच बताऊँ तो मुझे अभी भी, कभी-कभी विषय में स्वाद आ जाता है।
दादाश्री : वह स्वाद तुझे छोड़ नहीं रहा है? लेकिन इसमें स्वाद जैसा है ही कहाँ ? निरी गंदगी! इस गंदगी को चूसने जाएँ तो भी उसमें