________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
11 महाभारत के शांतिपर्व में कहा गया है, युधिष्ठिर ! फिर परमात्मा कृष्ण ने मुख से सौ ब्राह्मण, बाहुओं से सौ क्षत्रिय और उरुओं से सौ वैश्य और चरणों से सौ शूद्रों की सृष्टि की -
तत: कृष्णे महाभाग: पुनरेव युधिष्ठिर । ब्राह्मणानां शतं श्रेष्ठ मुखा देवा सृजत् प्रभुः ॥ बाहुम्यां क्षत्रिय शत: वैश्यानामूरुतः शतम् ॥
पद्मयां शूद्र शतञ्चैव के शवो भरतर्षम । भारतीय समाज में कर्मणा वर्ण व्यवस्था धीरे धीरे जन्मना हो गई और इसी वर्ण व्यवस्था ने धीरे धीरे जाति व्यवस्था का रूप ग्रहण कर लिया।
(3) भारत में जाति व्यवस्था भारतीय समाज में कर्मणा वर्ण व्यवस्था ही कालान्तर में जन्मना होकर जाति व्यवस्था में परिणत हो गई। जाति क्या है, यह विवादास्पद है। प्रारम्भ में जाति का निर्णय लोग कर्म से करते थे, फिर इसका निर्णय जन्म से करने लगे। अंग्रेजी के Caste को पुर्तगाली भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है उत्पन्न करना।'
जाति शब्द जन् धातु से “क्तिन' प्रत्यय करने से बनता है। यद्यपि जाति एक प्रकार का छन्द, मालती वेद की शाखा आदि कई अर्थों में प्रयुक्त होता है। व्याकरण के मत से किसी शब्द के प्रतिपाद्य अर्थ को जाति कहते हैं, वैयाकरण चार प्रकार के शब्द बतलाते हैं, उनमें ही जातिवाचक एक प्रकार का है, व्याकरण में जाति का लक्षण इस प्रकार कहा है
आकृति, ग्रहण जातिलिंगानाचं न सर्वभाक।
सकृ दारयात निर्माद्या गोत्रञ्च चरणै सह ।। जिस आकृति के द्वारा कोई पहचाना जाय, उसको अर्थात् आकृति को जाति कहते
गौतमसूत्र के अनुसार -
समानः समानकारकः प्रसवो बुद्धि जननमात्म स्वरूपं यस्याः
अर्थात् जिस पदार्थ से समानता का बोध होता है, उसी का नाम जाति है। वात्स्यायन का मत है कि एक पदार्थ दूसरे पदार्थ से पृथक है, इस भेद को मानकर सामान्य विशेष का नाम जाति है।
भारत में जातियों का उद्गम कब हुआ, यह विवादास्पद है। जातियों का उद्गम वर्ण से हुआ, इसलिये वर्ण व्यवस्था के उद्गम को ही हम जाति का उद्गम मान सकते हैं। पश्चिम के
1. Emile Senart, Caste in India, Page 1
It was borrowed from Portuguese casta, which signifies properly
___ "breed'. 2. जाति भास्कर, पृ. 1 3. वही पृ. 3 4. वही पृ. 6
For Private and Personal Use Only