Book Title: Kasaypahudam Part 02
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ पयडिविहत्ती २ गाढस्स अविहत्ती समाणं । वेमादपदेसोगाढस्स विहत्ती। तदुभएण अवत्तव्वं । एदे बे वि वियप्पा सुत्तेण ण उत्ता, कथमेत्थ उच्चंति ? ण; देसामासियभावेण सुत्तेण चेव परूविदत्तादो।
* कालविहत्ती तुल्लसमयं तुल्लसमयस्स अविहत्ती ।
१३. कालविहत्तिणिक्खेवस्स अत्थं परूवेमि त्ति जाणावणहं कालविहत्तिणिहेसो । तुल्याः समानाः समयाः तुल्यसमयाः, तेऽस्य सन्तीति तुल्यसमयिक द्रव्यम् । तमण्णस्स तुल्लसमइयस्स दव्वस्स अविहत्ती समाणं । कुदो ? कालावेक्खाए । वेमादसमइयं विहत्ती, तदुभएण अवत्तव्वं । __* गणणविहत्तीए एको एकस्स अविहत्ती।
१४. एक्कस्स त्ति तइयाए छहिणिहेसो दव्यो। एक्को संखाविसेसो एक्केण संखाविसेसेण सह अविहत्ती सरिसो । बेमादगणणाए विहत्ती । तदुभएण अवत्तव्यं ।
जो तुल्य प्रदेशवाला अवगाढ़ है वह तुल्य प्रदेशवाला अवगाढ़ कहलाता है। वह तुल्य प्रदेशवाले अवगाढ़के साथ अविभक्ति अर्थात् समान है । असमान प्रदेशवाले अवगाढ़के साथ विभक्ति है । तथा युगपत् दोनोंकी अपेक्षा अवक्तव्य है।
शंका-विभक्ति और अवक्तव्य ये दोनों विकल्प चूर्णिसूत्र में नहीं कहे हैं फिर यहां किसलिये कहे हैं ?
समाधान-नहीं, क्योंकि उपर्युक्त दोनों विकल्प देशामर्षकभावसे सूत्रके द्वारा कहे गये हैं। अतः उनका कथन करने में कोई दोष नहीं है।
* अब कालविभक्तिका अर्थ कहते हैं-तुल्य समयवाला द्रव्य तुल्य समयवाले द्रष्य की अपेक्षा अविभक्ति है।
१३. 'अब काल विभक्ति निक्षेपका अर्थ कहते हैं' इस बात का ज्ञान करानेके लिये सूत्रमें 'कालविहत्ती' पद दिया है। तुल्य अर्थात् समान समयोंको तुल्यसमय कहते हैं । वे तुल्य समय जिस द्रव्यके पाये जाते हैं वह द्रव्य तुल्यसमयवाला कहा जाता है। वह तुल्य समयवाला द्रव्य अन्य तुल्य समयवाले द्रव्यकी अपेक्षा अविभक्ति अर्थात् समान है, क्योंकि यहां कालकी अपेक्षा समानता विवक्षित है। तथा वह विवक्षित द्रव्य असमान समयवाले द्रव्यकी अपेक्षा विभक्ति है और समान तथा असमान दोनों समयोंकी एक साथ प्रधानरूपसे विवक्षा करनेकी अपेक्षा अवक्तव्य है।
* गणनाविभक्तिकी अपेक्षा एक संख्या एक संख्याका अविभक्ति है।
१४. 'एक्कस्स' यह षष्ठीविभक्तिरूप निर्देश तृतीया विभक्तिके अर्थमें समझना चाहिये। एक संख्याविशेष एक संख्याविशेषके साथ अविभक्ति अर्थात् समान है। तथा वह विसदृश संख्यावाली गणनाके साथ विभक्ति अर्थात् असमान है और सदृश तथा विसदृश दोनों प्रकारकी गणनाओंकी युगपत् विवक्षा होने पर अवक्तव्य है ।
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