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श्री पंच बालयति जिन पूजन
६९ इच्छा से चिन्ता होती है चिन्ता से होता है क्लेश । मुझे न कोई भी चिन्ता है मुझमें चिन्ता कही न लेश ।।
श्री मल्लिनाथ स्वामी मिथिलापुर नगरी के अधिपति कुम्भराज गृह जन्म लिया । माता प्रभावती हर्षायी देवो ने आनन्द किया ॥१॥ ऐरावत गज पर ले जाकर गिरि सुमेरु अभिषेक किया । मात-पिता को सौप इन्द्र ने हर्षित नाटक नृत्य किया ॥२॥ लघु वय मे ही दीक्षा धारी पच मुष्ठि कच-लोच किया । छह दिन ही छग्रस्थ रहे फिर तुमने केवलज्ञान लिया ॥३।। सवल कूट शिखर सम्मेदाचल पर जय जय गान हुआ । फागुन शुक्ल पचमी के दिन महा मोक्ष कल्याण हुआ ।।४।। कलश चिह्न चरणो मे शोभित मल्लिनाथ को करूं नमन । मन, वच, तन प्रभु के गुण गाऊ मै भी पाऊ सिद्ध सदन ।।५।। ॐ ही श्री मल्लिनाथ जिनेन्द्राय गर्भजन्मतमानमोक्ष पचकल्याणक प्राप्ताय अयं नि ।
श्री नेमिनाथ स्वामी नृपति समुद्र विजय हर्षाये शिव देवी उर धन्य किया । नेमिनाथ तीर्थकर तुमने शोर्यपुरी मे जन्म लिया ॥१॥ नगर द्वारिका से विवाह हित जूनागढ को किया प्रयाण । पशुओ की करुणा पुकार सुन उर छाया वैराग्य महान ।।२।। भव तन भोगो से विरक्त हो पत्र महाव्रत ग्रहण किया । शीघ्र अनन्त चतुष्टय प्रगटा, पर विभाव सब हरण किया ।।३।। ले कैवल्य मोक्ष सुख पाया, पाया शिवपद अविकारी । शुभ आषाढ शुक्ल अष्टम को धन्य हो गई गिरनारी ।।४।। शख चिह चरणो मे शोभित नेमिनाथ को करूं नमन । निज स्वभाव के साधन द्वारा मैं भी पाऊँ मुक्ति सदन ।।५।। ॐ ह्री श्री नेमिनाथ जिनेन्द्राय गर्भजन्मतपज्ञानमोक्ष पच कल्याणक प्राप्ताय अर्घ्य नि ।