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जैन पूजांजलि ___ द्रव्य अनदि अनत एक परिपूर्णा शुद्ध ज्ञायक गतिमान ।
स्वपर प्रकाशक ज्ञान स्वरुपी है सर्वाश अमित छविमान ।। ॐ ही श्री धपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो जन्मजरामृत्यु विनाशनाय जल नि । समता रस चदनसार अति शीतल लाया । क्रोधादि कषाऐ नाश करने में आया । ।चपापुर ॥२॥ ॐ ह्रीं श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो ससारताप विनाशनाय चन्दन नि । त्रैकालिक ज्ञायक भाव निज अक्षत लाया । अक्षय निधि पाने नाथ चरणों मे आया । ।चंपापुर ॥३॥ ॐ ही श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो अक्षयपद प्राप्तये अक्षत नि । निज अतररुप मनोज्ञ शील सुमन लाया । प्रभु विषय वासना नाश करने में आया ॥चपापुर ।।४।। ॐ ही श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो कामवाण विध्वशनाय पुष्प नि । धुन जागीनिज प्रवधाम की तो चरु लाया । अष्टादश दोष विनाश करने मैं आया । ।चपापुर ।५।। ॐ ह्री श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्य नि । निज आत्मज्ञान का दीप ज्योतिर्मय लाया । अज्ञान अधेरा नष्ट करने मै आया । । चपापुर ।।६।। ॐ ही श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो मोहान्धकारविनाशनाय दीप नि । निज आत्म स्वरुप अनुप सुधूप अति शुचिमय लाया । वसु कर्मों को विध्वस करने मैं आया । ।चपापुर ।।७।। ॐ ही श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो अष्ट कर्म दहनाय धूप नि । शिवमय अनुभव रस पूर्ण उत्तम फल लाया । निज शुद्ध त्रिकाली सिद्ध पद पाने आया । ।चपापुर ॥८॥ ॐ ही श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो मोक्ष फल प्राप्तये फल नि ।। परिणाम शुद्ध का अर्घ्य चरणो मे लाया । . अष्टम वसुधा का राज्य पाने को आया । चिपापुर ॥९॥ ॐ ह्री श्री चपापुर तीर्थक्षेत्रेभ्यो अनर्घ पद प्राप्तये अर्घ्य नि ।