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को, विश्व-कल्याण के लिए प्रसारित किया है, उसी प्रकार आचार्य तुल्य का व्यवहार और लेखकों ने भी अपने जीवन में आचार्यों द्वारा निर्मित सैद्धान्तिक दार्शनिक एवं साहित्यिक विषयों का अनुशीलन कर अपनी प्रशस्त रचनाओं द्वारा मानव समाज का महान कल्याण किया है तथा आचार्यों की परम्परा का अनुकरण कर भगवान महावीर की विश्वकल्याणी वाणी को आगे बढ़ाया है। भारत के विविध प्रदेशों में जन्मकाल से ही अपनी प्रतिभा रखते हुए संस्कृत भाषा में इन काच्यकारों तथा लेखक महानुभावों ने चारित्रकाव्यों, पूजा-काव्यों और नैतिक काव्यों का सृजन कर भारतीय साहित्य और संस्कृति के विकास में स्वकीय पूर्ण सहयोग प्रदान किया है। संस्कृत भाषा के इन लेखकों एवं कवियों की सूची अंकित है
महाकवि धनंजय, महाकवि हरिचन्द्र, चामुण्डराय, विजयवी, महाकवि आशाधर, पदनाम कायस्थ, धर्मधर, श्रीधरसेन, पण्डित वामदेव, रामचन्द्र मुमुक्ष, दोड्डव्य, पद्मसुन्दर, ब्रह्म कृष्णदास, अरुणपणि, महाकवि असग, बाग्भट्ट, (प्रथम), अजित सेन, अभिनव वाग्भट्ट, महाकवि अर्हद्दास, ज्ञानकीर्ति, गुणभद्र (द्वितीय), नागदेव, पण्डित मेधावी, वादिचन्द्र, राजमल, पं. जिनदास, अभिनव चारुकीर्ति, जगन्नाथ ।
संस्कृत भाषा के उपरिकथित काव्यकार और लेखक भारत के विभिन्न प्रदेशा में ई. सन की आठवीं शती से लेकर वि.सं. की 17वीं शती के अन्त और 18वीं शतो के प्रारम्भ तक अपनी प्रज्ञाप्रतिभा द्वारा साहित्य और काव्य की धारा को प्रवाहित करते आये हैं। इन संस्कृतज्ञ कवियों ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए मानवहित की भावना से सिद्धान्त, आचार, दर्शन, उपासना, नीति आदि विषयों की रचना कर भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाया है।
प्राकृत-अपभ्रंश भाषा के कवि और लेखक संस्कृत साहित्य की विविध रचनाओं के समान प्राकृत तथा अपभ्रंश भाषा में भी काब्बकारों ने भारतीय साहित्य की समृद्धि के लिए अपनी सजीव लेखनी का प्रयोग किया है। इन काव्यकारों द्वारा मध्यकालीन भारतीय संस्कृति, धर्म, नीति, आचार शास्त्र एवं उपासना या पूजा-काव्यों का सृजन हुआ है। इन प्राकृत-अपभ्रंश भाषा के विद्वानों ने विक्रम की छठी शती से लेकर वि. 17वीं शती तक अपनी काव्य प्रतिभा से विश्व को प्रभावित किया है। इनके शुभनामों की तालिका निम्न प्रकार है-कवि चतुर्भुज, त्रिभुवन स्वयम्भु, कवि धनपाल, हरिषेण, श्रीचन्द्र, श्रीधर (द्वितीय), देवसेन, मनि कनकामर, लाख, देवचन्द्र, बालचन्द्र, महाकवि दामोदर, दामोदर तृतीय), महाकवि रइधू, लक्ष्मण देव, धनपान (द्वि.}, गुणभ्रद, हरिचन्द्र (द्वि.) महीन्दु, कवि अतवाल, कांच शाह ठाकर, कवि माणिकचन्द्र, कवि ब्रह्मसाधारण, कवि अन्हू, पं. योगदेव, कवि देवदत्त, सन्त तारणस्वामी, महाकवि स्वयम्भुदेव, महाकवि पुष्पदन्त,
जैन पूजा-काव्य का उद्भव और विमान .:45