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प्राकृतभाषा के स्तोत्र
क्रम संस्कृतस्तोत्रनाम
69.
श्रीबाहुबलि स्तोत्र
70. निर्वाणकाण्ड स्तोत्र
71.
72.
73.
74.
75.
76.
77.
78.
रचयिता
नेमिचन्द्रसिद्धान्तचक्रवर्ती
श्रीगोमटेश्वर बाहुबलि जिनंदशुदि श्री देवेन्द्रकुमार शास्त्री
श्री लघुसिद्धभक्ति (स्तोत्र)
आचार्य कुन्दकुन्द आचार्य कुन्दकुन्द
तीर्थंकरस्तोत्र
प्राकृतचूलिका
कल्याणालोचनास्तोत्र उपसर्गहर पार्श्वनाथस्तोत्र
मंगलाष्टकस्तोत्र सिद्धप्रियस्तोत्र
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पूज्य कुन्दकुन्दाचार्य
सिंहनन्दि आ.
देवनन्दिकृत
प्राकृतस्तोत्रों का संक्षिप्त विवरण
आचार्य श्रीनेमिचन्द्र दि. जैनमार्ग के नन्दिसंय में कर्णाटक प्रान्तीय देशीयगण के मुनीश्वर थे। द्रविडदेशीय प्रतापी नृप महाराज चामुण्डराय शिष्य और आचार्य नेमिचन्द्र इनके गुरु थे। महाराज चामुण्डराय ने कर्णाटक प्रान्तीय श्रमणबेलगोलक्षेत्र के विन्ध्यगिरिं पर, प्रथम कामदेव श्री बाहुबलि स्वामी (गोमटेश्वर ) की 57 फीट ऊँची विशाल प्रतिमा का निर्माण कराया था, जिसकी प्रतिष्ठा श्री नेमिचन्द्र जी प्रतिष्ठाचार्य द्वारा शक सं. 600 में, वि.सं. 735 में करायी गयी थी। आप संस्कृत, प्राकृत आदि भाषाओं के प्रखर विद्वान् थे। उसी समय प्रतिष्ठाचार्य जी ने श्री बाहुबलिस्तोत्र की रचना प्राकृतभाषा में की थीं, जिसका हिन्दी अनुवाद श्री 108 आचार्य विद्यासागर जी द्वारा किया गया हैं, जो भावपूर्ण एवं पठनीय है।
कल्यन्दे षट्शता विनुतविभवसंवत्सरे पासिचैत्रे, पंचम्यां शुक्लपक्षे दिनमणिदिवसे कुम्भलग्ने सुयोगे । सौभाग्ये हस्तनाम्नि प्रकटितभगणे सुप्रशस्तां चकार, श्री मच्चामुण्डराज वैल्गुलनगरे गोमटेशप्रतिष्ठाम् ॥'
तात्पर्य- कल्की सं. (शक सं.) 600 में, विभवनामक वर्ष में, चैत्रमास शुक्ला पंचमी रविवार के दिन कुम्भलग्न, सौभाग्ययोग में हस्तनक्षत्र के उदय में श्रीमान्
1. नेमिचन्द्राचार्य गोमटसार जीवकाण्ड : सं. पं. गोपालदास, प्र. - परमश्रुतप्रभावक मण्डल अगास, सन् 1977 प्रस्तावना, पू. ॥५
जैन पूजा काव्य के विविध रूप : 113