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कविराज श्री गिरिधर शर्मा कृत कल्याणमन्दिर स्तोत्र का पद्य
मैने सुदर्शन किये, गुण भी सुने, कीपूजा, तथापि हिय में न तुझे बिठाया । हूँ, दुःखपात्र जनबान्धव : मैं इसी से होती नहीं सफल, भाव बिना क्रियाएँ ॥
विषापहार स्तोत्र के कुछ मनोहर पद्य
सिद्ध साधु सतगुरु आधार, करूँ कवित्त आत्म उपकार । विषापहार स्तवन उद्धार, सुखी औषधी अमृतसार ॥ जैसे वज्र पर्वत परिहार, त्यों तुम नामहि विषापहार | नागदमन तुम नाम सहाय, विषहर विषनाशक क्षणमाय ॥ तुमगुणमणि चिन्तामणि राशि, चित्रबेलि चितहरणचितास | विघ्नहरण तुम नाम अनूप, मन्त्र यन्त्र तुम ही मणि रूप ॥
कवि द्यानतराय रचित स्वयंभूस्तोत्र के कतिपय सुन्दर पद्य
चौपाई - इन्द्र फणिन्द्रनरिन्द्रत्रिकाल, वाणी सुन सुन होंहि खुशाल । द्वादशसभा ज्ञानदातार, नमों सुपारशनाथ निहार ॥ समतासुधा कोपविषनाश, द्वादशांगवाणी परकाश । चारसंघ आनन्ददातार, नमों श्रेयांस जिनेश्वरसार ॥ अन्तर बाहर परिग्रहटार, परम दिगम्बरव्रत को धार । सर्वजीवहितराह दिखाय नमो॑ अनन्त वचन मन काय ॥ भवसागर से जीव अपार, धरमपोत में घरै निहार । डूबत काढ़े दया विचार, वर्धमान बन्दौं बहुवार ॥
कतिपय प्रसिद्ध हिन्दी जैन स्तोत्र
1. जिनसहस्रनामस्तोत्र
2. स्वयंभूस्तोत्र
9. भक्तामर स्तोत्र
4. कल्याणमन्दिरस्तोत्र
ॐ विषापहारस्तोत्र
6. भाषास्तुति
7. दर्शनस्तोत्र
B. दर्शनपाठ (स्तुति)
118 जैन पूजा-काव्य एक चिन्तन
कविवर बनारसीदास जी
कविवर द्यानतराव जी
पं. कमलकुमार शास्त्री
कवि गिरिधर शर्मा, पं. कमलकुमार
अज्ञात
अज्ञात
कवि बुधजन
पं. दौलतराम