________________
एलोरा के गुहामन्दिर
ऐतिहासिक और धार्मिक एलोरा क्षेत्र की लोक प्रसिद्ध गुहाएँ और गुहामन्दिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद नगर से पश्चिम दिशा में 30 कि.मी. दूरी पर अवस्थित हैं। औरंगाबाद से एलोरा (वर्तमान व ग्राम एक मार्ग से मि बस सेवा उपलब्ध है। एलोरा की पहाड़ी समुद्र तल से 22 फीट उन्नत है, यह सावंत श्रृंखला की एक सुन्दर कड़ी है। इस क्षेत्र का जलवायु समशीतोष्ण है और प्राकृतिक दृश्य अत्यन्त नयनाभिराम एवं आनन्दप्रद हैं।
इस क्षेत्र पर कुल गुफ़ाओंों की संख्या 34 है। ये सब ही गुफ़ाएँ किसी एक धर्म से सम्बन्धित नहीं हैं अपितु भारत के तीन प्रसिद्ध धर्मों से समाश्रित हैं। गुफा नं. 1 से 12 तक की गुफाएँ बौद्ध संस्कृति के अनुरूप हैं। नं. 18 से नं. 29 तक की गुफाएँ शैवधर्म के अनुकूल हैं और क्रमांक 30 से 34 तक की गुफ़ाएँ जैन संस्कृति रूप हैं।
अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ महाराष्ट्र के अकोला मण्डनान्तर्गत सिरपुर (श्रीपुर ) ग्राम में अवस्थित है। यह क्षेत्र बम्बई - नागपुर लाइन पर स्थित अकोला स्टेशन से प्रायः 70 कि.मी. की दूरी पर विद्यमान है।
अतिशय क्षेत्र सिरपुर (धोपुर और उसके अधिष्ठाता देव 'अन्तरिक्ष पाश्वनाथ' ) अखिल भारत में प्रसिद्ध हैं। इस क्षेत्र का इतिहास अति प्राचीन है। कुछ इतिहासकारों की धारणा है कि इस क्षेत्र का निर्माण ऐलनरेश श्रीपाल ने कराया था। तथापि क्षेत्र के रूप में अन्तरिक्ष में विराजमान उस पार्श्वनाथ मूर्ति विशेष की अपेक्षा क्षेत्र की ख्याति तो इससे भी पूर्वकाल से थी। जन साहित्य, ताम्रशासन और शिलालेख में इसके विषय में अनेक उल्लेख प्राप्त होते हैं ।
प्राकृत निर्वाण काण्ड में इस मूर्ति की वन्दना करते हुए कहा गया है
अग्गल देवं वंदभि, वरणयरे णिवणकुण्डलो वंदे ।
पासं सिरिपुरि बंदमि होलागिरि संख देवम्मि ||
--
अर्थात् इस गाथा के तृतीय चरण में कहा गया है कि "मैं श्रीपुर के पार्श्वनाथ की वन्दना करता हूँ ।"
भहारक उदयकीर्ति कृत अपभ्रंश निर्वाण-भक्ति में इसी विषय को कहा गया
है ।
1. धर्मध्यान दीपक सं. अजितसागर, प्र. - महावीर जी (राज.), पृ. 142
328 :: जैन पूजा काव्य एक चिन्तन