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पाणाख्यशाहो हि पणायतेस्म, यावन्न पूजा विनिधाय तायत। तत्रोपवासं च मुदा चकार, अहारतीर्थ..................॥ कृत्वासपर्यां भगवज्जिनस्य, मुनि ददर्शाथ ददावहारम् । अहारनाम्ना हि ततः प्रसिद्धं, अहारतीर्थ............ विनिःसृतं यत्र च दिव्यरूपं, भूमेरधस्तान्ननु चैत्य-बिम्बम्। अनेकशस्तत्र पदे पदे च, अहार तीर्थ..........|| देवांगनानामपि किन्नराणां, व्यक्तं निशायां हि कदा कदापि।
मनोरम यादनगाननृत्य, अहारतीर्थ .............. ।' खजुराहो का परिचय और उसका अर्चन
अवस्थिति : खजुराहो क्षेत्र मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में, अत्यन्त कलापूर्ण भव्य मन्दिरों के कारण विश्व में प्रसिद्ध पर्यटन केन्द्र के रूप में विद्यमान है। जो एक सहसवर्ष पूर्व चन्देलनृपों की राजधानी था। किन्तु वर्तमान में यह एक छोटा-सा ग्राम है। यह खजुराहो-सागर बस मार्ग से सम्बन्धित है।
क्षेत्र दर्शन-खजुराहो के हिन्दू और जैन मन्दिर चन्देलराजाओं के शासन काल की समुन्नत शिल्पकला के उत्कृष्ट नमूने हैं। यहाँ जितने मन्दिर तथा चन्दलों से सम्बन्धित स्थान हैं, वे राहिलवर्मा (लगभग सन 900) से लेकर मुसलमानों द्वारा कालिंजर की विजय (ई. 1213 तक के काल के हैं)। खजुराहो क्षेत्र पूजनकाव्य (संस्कृत)
खजुराहो क्षेत्रस्थ शान्तिनाथ स्तोत्रम् वसन्ततिलका छन्द
है शान्तिनाथ भगवन् भववीतराग तुभ्यं नमोस्तु जगदेकशरण्य भूत । श्री-मत्प्रसिद्ध खजुराह विराजमान श्री-वर्धपान महनीय शतेन्द्र सेव्य।।
अत्रोगतो जनगणस्तत्र दर्शनेन नानाविधैर्गदचयर्थयति प्रयुक्तः । संसारदुःखनिकरा न भवन्ति तस्य तेंद्वियं वसति यस्य मनोरविन्द।
1. वैभवशाली अहार : सं. डॉ. दरवारीलाल कांदिया न्यायाचा प्र.अ.-शान्तिनाथ अष्टशताब्दि
महानस्तकाभिषेकासय समिति अहारक्षेत्र : (टीकमगढ़ म.प्र. : 1982 : के आधार पर।
जैन पूजा-काव्यों में तोर्थक्षेत्र :: ||