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निबद्ध हैं। इस पूजा-काव्य में कुल सम्पूर्ण पद्य 39 हैं जो पाँच प्रकार के छन्दों में प्रयुक्त हैं। उदाहरणार्थ कुछ पो का निदर्शन
सलिल चन्दन पुष्प तन्दुत, चरु सुदीप सुधूपकैः, फणस रम्प कुशाम्र स्वस्तिक, धयल मंगलगानकैः । जननसागर भविकतारक, दुःखदायधनोपर्म, विजयकीर्ति सघसेक्ति. धुलेव नयर निवासिन। सुरेन्द्रनागेन्द्र नरेन्द्र शिष्टो, घुलेववासो जगदीश्वरेष्टो। इक्ष्वाकुवंशो बरदो वरिष्ठो, भक्तेष्ट शिष्टेष्ट गारिष्ट इष्टो। पुण्यपानिधि वर्धनचन्द्रं, क्षोभित मोह महागजतेन्द्रं । धुलयनयर निवासविराजं, आदि जिनेश्वर नमितसुराज । संकटकोटि विनाशनदक्ष, नासितरोगभयादिक-यक्ष धुले बनयर नियास विराज,............... || कान्तिकला परिपूरितगात्रं, वांछितदान सुपोसित पात्रं । भुले व नयर आदि जिनंन्द्रमनादिमनन्तं, सन्ततभिन्न सुरूए धरन्तं । धुलेब नयर
...............॥ श्रीधल वपु राश्रितं त्रिभुवन, श्रेष्ठ निसे व्यं मुदा भक्तानां दुरितं विनाशिततरं, कुप्टादिसंघोत्करम् । नीरादिप्रमुखाष्ट द व्यनिच यैः दू दधि स्वस्तिके: चचे श्रीविजयादिकीर्ति सततं, लक्ष्मी ससेनान्नुकम्॥ लक्ष्मीकालाकान्तिरनन्त सौख्यं, सेनिं चतुर्धाधिपचक्रिमुख्यम् ।
गजा सुराधर्थमनन्तरूपं, धुलेव नयरे वृषभजिनेन्द्रम।।' इस पूजा-काव्य में शब्दालंकार, अर्थालंकार, प्रसादगुण, सरलरीति, सरम भाषा और रम्य छन्दों के प्रयोग से भक्तिपूर्ण शान्तरस का वर्णन किया गया है। आबू क्षेत्र
आबू क्षेत्र पश्चिम रेलवे के अजमेर-अहमदाबाद रेलमार्ग के 'आबूरोड' स्टेशन से 29 कि.मी. दूर दिलवाड़ा नामक ग्राम में राजस्थान प्रान्तीय सिरोही जिला में अवस्थित है। दिलवाड़ा से आबू डेढ़ कि.मी. अन्तर पर है जो पर्वत की शिखर पर शोभित है। आबू रोड़ स्टेशन से 10 कि.मी. दूर आयू पर्वत की तलहरी है, यहाँ से 19 कि.मी. पर्वत पर पक्के मार्ग से चलना पड़ता है। यहाँ के प्राकृतिक दृश्य
1. बृहद् पहावीर कीर्तन, पृ. 121-23
जैन पूमा-काव्यों में तीर्थक्षत्र :: 325