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गाया ५
२५ प्रान ६१-पर्याय श्रुतज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर-पर्यायका अर्थ यहाँ सबसे छोटा अश (भाग) है । अक्षर (जिसका क्षरण अर्थात विनाश न हो ऐसा ज्ञान) के अनन्तवे भाग पर्यायनामक मतिज्ञान है । यह पर्यायनामक मतिज्ञान निरावरण व अविनाशी है । यह पर्यायनामक मतिज्ञान निरावरण व अविनाशी है ।(यह पर्याय नामक मतिज्ञान सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यपर्याप्त भवमे उत्पन्न होने वाले जीवके प्रथम समयमे होता है । इस पर्याय मतिज्ञानसे जो श्रुतज्ञान उत्पन्न होता है उसे भी उपचारसे : पर्याय श्रुतज्ञान कहते है।
E प्रश्न ६२-- पर्यायसमास श्रुतज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर-पर्याय श्रुतज्ञानसे अनन्त भाग अधिक श्रु तज्ञानको पर्यायसमास श्रुतज्ञान कहते है और इसके बाद भी असंख्यात लोक प्रमाण षड्वृद्धियो ऊपर तक पर्यायसमास श्रुतज्ञान होता है।
प्रश्न ६३- अक्षरात्मक श्रु तज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर-जिसका ग्रहण अक्षरोके रूपमे हो, उसे अक्षरात्मक श्रु तज्ञान कहते है। यह ज्ञान सैनी जीवोके ही होता है ।
प्रश्न ६४- अक्षरात्मक श्रुतज्ञानके कितने भेद है ?
उत्तर- अक्षरात्मक श्रुतज्ञान के १८ भेद है-(१) अक्षर, (२) अक्षरसमास, (३) पद, (४) पदसमास, (५) सघात, (६) सघातसमास, (७) प्रतिपत्ति, (८) प्रतिपत्तिसमास, () अनुयोग, (१०) अनुयोगसमास, (११) प्राभृतप्राभृत, (१२) प्राभृतप्राभृतसमास, (१३) प्राभृत, (१४) प्राभृतसमास, (१५) वस्तु, (१६) वस्तुसमास, (१७) पूर्व और (१८) पूर्वसमास ।
प्रश्न ६५- अक्षर श्रुतज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर-द्रव्यश्रुत-प्रतिबद्ध एक अक्षरको जिससे उत्पत्ति हो सके उसे अक्षरज्ञान कहते है अथवा उत्कृष्ट पर्यायसमास श्रुतज्ञानसे अनन्तगुणा ज्ञान प्रक्षरश्रुतज्ञान है।
प्रश्न ६६-अक्षरश्रुतज्ञान किन जीवोके होता है ?
उत्तर- अक्षर तज्ञान सैनी पञ्चेन्द्रिय जीवोंके ही हो सकता है, क्योकि अक्षरभुतज्ञान मनका विषय है।
प्रश्न ६७-अक्षरसमास व तज्ञान किसे कहते है ?
उत्तर- अक्षरज्ञानके ऊपर और पदज्ञानसे नीचे एक-एक अक्षर बढकर जितने भेद है वे सब अक्षरसमास श्र
प्रश्न ६८-पदश्रु तज्ञान किसे कहते हैं ? उत्तर- अक्षरसमास श्रु तज्ञानके ऊपर एक अक्षर बढ़नेपर पद तज्ञान होता है।