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जाते है |
द्रव्यसंग्रह प्रश्नोत्तरी टीका
उत्तर- इसमें दोनता, लिप्सा, कल्याणमागमे प्रमाद आदि दोप आते है ।
प्रश्न ७५ - क्रोधदोप किसे कहते है ?
उत्तर- क्रुद्ध होकर भोजनादि प्रबन्ध कराने व ग्रहण करनेको क्रोधदोष कहते है ।
प्रश्न ७६- इसमे क्या दोष आता है ?
उत्तर -- सयमकी हानि, उन्मार्गका प्रसार आदि दोप प्राते है ।
प्रश्न ७७ - मानदोप किसे कहते है ?
उत्तर- अभिमानके वश होकर आहार ग्रहण करनेको मानदोप कहते है ।
प्रश्न ७८- इसमे क्या दोष श्राता ?
उत्तर - रसगौरव, सयमहानि, उन्मार्ग आदि दोष आते है ।
प्रश्न ७६-- मायादोष किसे कहते है ?
उत्तर- मायाचार, छल, कपट सहित भोजनादि ग्रहण करनेको मायादोष कहते है ।
प्रश्न ८०- इसमे क्या दोप आता है ?
उत्तर -- सम्यक्त्वहानि, सयमहानिके दोप मायादोषमे उत्पन्न हो जाते है ।
प्रश्न ८१-- लोभदोष किसे कहते है ?
उत्तर- क्षुब्ध परिणामोसे श्राहारादि ग्रहण करनेको लोभदोष कहते है । प्रश्न ८२-- इस दोपसे क्या अनर्थ होता है ?
उत्तर-- लोभदोषसे मूल गुणमे हानि, स्वभावदृष्टिकी अयोग्यता हो जाने के अनर्थ हो
प्रश्न ८३- पूर्वस्तुतिदोप किसे कहते है ?
उत्तर - दातारकी पहिले प्रशसा करके अपनी ओर आकर्षित कर दातारसे भोजनादि ग्रहण करनेको पूर्वस्तुतिदोष कहते है ।
प्रश्न ८४-- इस दोषसे क्या अनर्थ होता है ?
उत्तर-- इसमे परमुखापेक्षा कृपणता, श्रात्मगौरवनाश आदि अनर्थ होते है ।
प्रश्न ८५-- पश्चात्स्तुतिदोप किसे कहते है ?
उत्तर-- आहार ग्रहण करनेके बाद दाताकी प्रशसा स्तुति करना, सो पश्चात्स्तुति नामक दोष है ।
प्रश्न ८६ - इस दोषसे क्या अनर्थ है ?
उत्तर-- आगे भी भोजन प्रबन्ध हमारा अच्छा रहे, इस अभिप्राय से यह दोष होता है । इससे निदान, कृपणता, आत्मगौरवनाश आदि अनर्थं होते है ।
प्रश्न ८७ -- चिकित्सादोप किसे कहते है ?