Book Title: Dravyasangraha ki Prashnottari Tika
Author(s): Sahajanand Maharaj
Publisher: Sahajanand Shastramala

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Page 272
________________ २६४ 'द्रव्यसंग्रह - प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न २५ - सर्वज्ञ इस देशमे क्या नही पाया जाता ? उत्तर - यदि सर्वज्ञ इस देशमे व इस कालमे नही पाया जाता तो यह बात तो ठीक ही है, यहाँ कोई सर्वज्ञ आजकल नही है । परन्तु यहाँ प्राजकल कोई सर्वज्ञ नही है और न होता है, इससे सर्वज्ञका बिल्कुल निषेध नही कर सकते । प्रश्न २६ -- सर्वज्ञ किसी भी देशमें व किसी भी कालमे नही होता । उत्तर- यदि ऐसा तुम जान चुके हो तो लो तुम ही सर्वज्ञ हो गये, क्योकि जब तुमने सर्वदेश व सर्वकालकी बातें जानी होगी तभी ऐसा कह सकते हो कि किसी भी देश में व किसी भी कालमें सर्वज्ञ नही होता । प्रश्न २७ - सर्वज्ञकी सिद्धिमे कोई युक्ति भी है क्या ? उत्तर - सर्वज्ञकी सिद्धि हेतुमे भी सिद्ध है— कोई सर्वज्ञ अवश्य होता है, क्योकि सम्यग्ज्ञानके बाधक राग और अज्ञानमे कमोवेशी पाई जाती है । जब यहाँ ही देखा जा रहा है कि अनेक महापुरुषोमे राग और अजान कम देखा जाता है तो कोई ऐसा भी आत्मा होता है जिसमे राग और अज्ञानू बिल्कुल नही रहते है । वही सर्वज्ञदेव है । काल अपेक्षा दूरी अथवा क्षेत्र में इस एक युक्ति यह भी है कि सूक्ष्म, अन्तरित आदि सर्व पदार्थ किसी न किसीके प्रत्यक्ष हैं, क्योकि ये अनुभेदा है । जो जो अनुमेय होते है वे किसी न किसीके प्रत्यक्ष होते है, जैसे— पर्वतादिमें छिपी हुई अग्नि इत्यादि अनेक युक्तियोसे सर्वज्ञपना सिद्ध है । प्रश्न २८ - सर्वज्ञताकी सिद्धिमे कोई अनुभवर्गाभित युक्ति है ? उत्तर - ज्ञानका स्वभाव जानना है, उसके प्रतिबन्धक कर्मके बन्धन जब तक रहते है तब तक ज्ञानके कार्यमे कमी याने अपूर्णता रहनी है, किन्तु कर्मका प्रतिबन्ध समाप्त होनेपर ज्ञान थोडे ही पदार्थोंकों) इसका कोई कारण नही रहता, अत निष्कलङ्क ज्ञान सर्वका ज्ञाता होता है । प्रश्न २६ - ज्ञान तो इन्द्रिय द्वारा जानता है सो यदि इन्द्रिय है तो अपना अपना विषय ही सीमा लेकर जाननेमे प्रावेगा, यदि इन्द्रिय नही है तो ज्ञान ही नही होगा ? उत्तर- ज्ञान इन्द्रिय द्वारा नही जानता है, किन्तु ज्ञानके प्रावरण के होनेपर ज्ञानकी ऐसी शक्ति हो जाती है कि इन्द्रियको निमित्त पाकर जानता है । परन्तु आवरण नष्ट होनेपर ज्ञान किसीकी निमित्तरूप भी सहायताके बिना अपने स्वभाव सामर्थ्यसे जानता है और इस जाननेकी सीमा नही होती । ऐसी शुद्ध अवस्थामे ज्ञान सर्व सद्भूत अर्थोको जानता है । प्रश्न ३० - उक्त रहस्यको दृष्टान्त द्वारा स्पष्ट करना चाहिये । उत्तर - जैसे कोई पुरुष किमी कमरेमे है, जहाँ कि ६ खिडकियाँ है, तो वह मनुष्य

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