________________
२८७
गाथा ५८
उत्तर-जडत्वधर्म जीवको छोडकर, शेष,५ द्रव्योमे है। । प्रश्न २६-अस्तित्वधर्म किन द्रव्योमे है ? । उत्तर-अस्तित्वधर्म सभी द्रव्योमे है, क्योकि सभी द्रव्य सत्तावान है। प्रश्न ३०- वस्तुत्वधर्म किन-किन द्रव्योमे है ? ,
उत्तर- वस्तुत्वधर्म सभी द्रव्योमे है, क्योंकि प्रत्येक द्रव्य अपनेमे अपनी शक्तियोको बसाये है और अन्य द्रव्योकी शक्तियोका त्याग किये हुए है। .
प्रश्न ३१-द्रव्यत्वधर्म किन-किन द्रव्योमे है ?
उत्तर-द्रव्यत्वधर्म भी सब द्रव्योमे है । क्योकि सभी द्रव्य परिणमनशील होनेसे अपनी-अपनी पर्यायोको प्रकट करते रहते है। . . । प्रश्न ३२-अगुरुलघुत्व धर्म किन-किन द्रव्योमे है ?
उत्तर- अगुरुलघुत्व गुण भी सर्व द्रव्योमे है, क्योकि सभी द्रव्य षड्गुण हानिवृद्धिरूप परिणमते है।
प्रश्न ३३- प्रदेशवत्व धर्म किन-किन द्रव्योमे है ?
उत्तर-प्रदेशवत्व धर्म भी सर्वद्रव्योमे है। प्रदेशके बिना द्रव्यकी सत्ता कहाँ रहेगी? चाहे एकप्रदेशी द्रव्य हो, चाहे बहुप्रदेशी द्रव्य हो, प्रदेश तो उनका होता ही है।।
प्रश्न ३४-- प्रमेयत्व धर्म किन-किन द्रव्योमे है ?
उत्तर-प्रमेयत्व धर्म भी सर्वद्रव्योमे पाया जाता है, क्योकि सभी द्रव्य किसी न किसीके द्वारा ज्ञेय, प्रमेय है। सर्वज्ञदेवके ज्ञानमे तो सभी द्रव्य और उनकी समस्त पर्याये युगपत ज्ञात हो जाती है । प्रमाणका
ce OE प्रश्न ३५- उक्त प्रकारोसे द्रव्योके ज्ञान करनेसे लाभ क्या होता है ?
उत्तर- अनन्तधर्मात्मक स्वत सिद्ध सद्भूत स्वतन्त्ररूपी द्रव्योके परितानसे सयोगबुद्धि' नही रहती है, अत 'पाकुलताका एकमात्र कारणभून मोह भी नष्ट हो जाता है । मोहके सर्वथा नष्ट होनेपर अनन्तज्ञान, अनन्तदर्शन, अनन्तानन्द आदिका पूर्ण स्वाभाविक गुणविकास हो जाता है । यही स्थिति सर्वोपरि लाभ वाली है ।
प्रश्न ३६- क्या द्रव्यसग्रहके कर्ताको अपनी कृतिमे कुछ सशय था, जिससे अन्य मुनीश्वरो द्वारा शुद्ध किये जानेकी अपेक्षा करनी पडी ?
उत्तर- द्रव्यसग्रहके रचयिता पूज्य श्रीमन्नेमिचन्द्र सिद्धान्तिदेवको इन द्रव्यो व तत्त्वो के निषयमे गूढ श्रद्धा थी, सशयका तो अवकाश ही नही था, परन्तु ज्ञानी जनोकी और श्रुतदेवताकी भक्तिमे ओतप्रोत ग्रन्थकर्ताने अपनी लघुता और भक्ति प्रदर्शित की है।
प्रश्न ३७- "दोससचयचुदा" इस पदसे किन दोपोसे रहित मुनिनाथका ग्रहण है ?