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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर-- मल दोप ८ ये है-(१) शका, (क) काक्षा, (३) विचिकित्सा, (४) मूढदृष्टि, (५) अनुपगृहन, (६) अस्थितिकरण, (८) अवात्सल्य, (८) अप्रभावना ।
प्रश्न ४५-शङ्कादोष किसे कहते है ?
उत्तर- भगवत्प्रणीत तत्त्वोमे सदेह करने व इह लोकादि भय करनेको शहादोष कहते है।
प्रश्न ४६-काक्षादोष किसे कहते है ?
उत्तर-निज स्वभावदृष्टिमे अनुत्साह करके विपयोमे, धन-वैभव सन्मान प्रतिष्ठामे रुचि करनेको काभादोप कहते है।
प्रश्न ४७- विचिकित्सा दोष किसे कहते है ?
उत्तर-धर्मात्मावोके मलिन शरीरको देखकर ग्लानि करने व अपने क्षुधा आदि वेदनावोके होनेपर खिन्न रहनेको विचिकित्सा दोष कहते है ।
प्रश्न ४८-मूढदृष्टि दोष किसे कहते है ? उत्तर- कुमार्ग व कुमार्गस्थ जीवोकी भक्ति, रुचि प्रशसा करनेको मूढदृष्टि दोष कहते
प्रश्न ४६- अनुपगृहन दोष किसे कहते है ?
उत्तर-अज्ञानी अशक्त जीवो द्वारा होने वाले धर्मके अपवादको दूर करना व अपने गुण प्रकट करना और अपने दोपोको ढाकना, दूसरेके दोषोको प्रकट करना व गुणोका उपघात करना ये सब अनुपगृहन दोष है ।
प्रश्न ५०- अस्थितिकरण दोप किसे कहते है ?
उत्तर-धर्मसे डिगते हुये स्वयको व जीवोको सामर्थ्य होते हुये भी धर्ममे स्थिर न करने और च्युत होनेमे सुखका अनुभव करनेको अस्थितिकरण दोष कहते है ।
प्रश्न ५१- अवात्सल्य दोप किसे कहते है ?
उत्तर- धर्मात्मावोके प्रति वात्सल्य न रखने या मात्सर्य करनेको अवात्सल्य दोष कहते है।
प्रश्न ५२- अप्रभावना दोप किसे कहते है ?
उत्तर- सामर्थ्य होते हुये भी धर्मकी प्रभावना न करने या अपने असत्यादि व्यवहार से धर्मकी अप्रभावना करने को अप्रभावना दोप कहते है ।
प्रश्न ५३- मद पाठ कौन-कौन है ?
उत्तर-मद आठ ये है- (१) ज्ञानमद, (२) प्रतिष्ठामद, (३) कुलमद, (४) जातिमद, (५) बलमद, (६) वैभवमद, (७) तपोमद, (८) रूपमद ।