Book Title: Dravyasangraha ki Prashnottari Tika
Author(s): Sahajanand Maharaj
Publisher: Sahajanand Shastramala

View full book text
Previous | Next

Page 244
________________ २३६ द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका (१) किसी मनुप्यने पहिले नरकायु वाध ली पश्चात् क्षायोपशामिक मम्यक्त्व हुा । क्षायोपशमिक सम्यक्त्वके होते हुये तीर्थर प्रकृतिका बन्ध कर लिया। (यह जीव मनुष्यभव के अन्त तक तो क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि रहेगा, किन्तु मरण सययसे लेकर पर्याप्त नारकी होने तक अन्तर्मुहूर्तको मिथ्याष्टि होगा। पश्चात क्षायोपशामिक मम्यग्दृष्टि होगा। नरकमे अन्त तक क्षायोपणमिक सम्यग्दृष्टि रहेगा। मनुष्यभवमे तीर्थङ्कर होनेके लिये जन्म लेने पर भी क्षायोपशमिक सम्यग्दृष्टि रहेगा । मुनि अवस्था होने तक क्षायोपणमिक दृष्टि रहेगा । मुनि अवस्था होने पर यह जीव केवलिद्विकके पादमूल बिना क्षायिक सम्यग्दर्शन प्राप्त कर लेता है। (२) स्वय श्रुतकेवली भी कोई विना केवलि द्विव के पादमूलके क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्त कर सकता है। इस प्रकार सम्यग्दर्शनका वर्णन करके व मम्यग्ज्ञानका वर्णन करते है ससयविमोहविभमविवज्जिय अम्पपरसस्वस्स । गहरणं सम्मण्णाण सायारमण्यभेय च ॥४२॥ अन्वय-अप्पपरसम्वस्स ससयविमोहविभमविवज्जिय गहण सम्मण्णाण, तु मायारमणेयभेय । अर्थ-अपने प्रात्माके व परपदार्थोके स्वरूपका समय, अनध्यवसाय और विपर्ययरूप मिथ्याज्ञानसे रहित ग्रहण करने अर्थात् जाननेको सम्यग्ज्ञान कहते है। यह ज्ञान साकार और अनेक भेद वाला है। प्रश्न १- आत्माका म्वरूप कैसा है ? उत्तर-मात्मा निश्चयसे ध्रुव चैतन्यस्वरूप है, व्यवहारसे जानना देखना आदि परिणमनरूप है । परमार्थसे आत्मा प्रवक्तव्य है, किन्तु ज्ञेय अवश्य है । प्रश्न २- परपदार्थों मे किन-किनका ग्रहण है ? उत्तर-एक ज्ञाताके स्वय आत्माको छोडकर शेष समस्त अनन्तानन्त आत्मा, . समस्त अनन्तानन्त पुद्गल द्रव्य, एक धर्मद्रव्य, एक अधर्मद्रव्य, एक आकाशद्रव्य, असख्यान कालद्रव्य ये सब परपदार्थ है। प्रश्न ३-इन सबका प्रयोजनभूत स्वरूप क्या जानना चाहिये ? उत्तर-समस्त पदार्थ स्वतन्त्र हैं, प्रत्येक परस्पर अत्यन्त भिन्न हैं । इस प्रयोजनभूत प्रतीति सहित उन सबके साधारण असाधारण गुणोको जानना चाहिये । साथ ही यह भी जानना चाहिये कि एक मुझ आत्माको छोडकर शेष समस्त अनन्तानन्त आत्मा, अनन्तानन्त पुद्गल, एक धर्मद्रव्य, एक अधर्मद्रव्य, एक प्राकाशद्रव्य, असख्यात कालद्रव्य-ये सर्व मुझसे

Loading...

Page Navigation
1 ... 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297