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गाथा ४६
२५६ प्रश्न ३- इनके वाचक ३५ अक्षरो वाला मन्त्र कौन है ?
उत्तर- "मो अरहतारण, णमो सिद्धारण, णमो आइरियारणं, गमो उवज्झायारण, रणमो लोए सव्वसाहूण" यह ३५ अक्षरो वाला मन्त्र है। इसका नाम णमोकारमन्त्र व महामन्त्र भी है।
प्रश्न ४- इस महामन्त्रके पदोका अर्थ क्या है ?
उत्तर- लोकमे सब अरहतोको नमस्कार हो, सिद्धोको नमस्कार हो, प्राचार्योंको नमस्कार हो, उपाध्यायोको नमस्कार हो और साधुवोको नमस्कार हो ।
प्रश्न ५- सोलह अक्षर वाला मन्त्र कौन है ?
उत्तर- "अर्हत्सिद्धाचार्योपाध्यायसर्वसाधुभ्यो नमः" यह सोलह अक्षर वाला मन्त्र है। इसमें भी पञ्चपरमेष्ठियोके नाम आये है।
प्रश्न ६-छ अक्षर वाला मन्त्र कौन है ?
उत्तर-"अरिहत सिद्ध" यह छ• अक्षर वाला मन्त्र है । इसमे दो परमेष्ठियोके नाम है। शेष ३ परमेष्ठियोके भी गुणोका पूर्ण विकास इन्ही पदोमे होता है, अतः मुख्यताकी दृष्टि से यह उक्त दो परमेष्ठियोके नामका मन्त्र कहा है।
प्रश्न - पाच अक्षर वाला मन्त्र कौन है ?
उत्तर-"असिया उसा" यह पाँच अक्षर वाला मन्त्र है । इसमे पाँचो परमेष्ठियोके नामके पहिले-पहिले अक्षर है, अतः यह मन्त्र पञ्चपरमेष्ठियोका वाचक है ।
प्रश्न ८-- चार अक्षर वाला मन्त्र कौन है ? उत्तर-"अरिहत" यह चार अक्षर वाला मन्त्र है । इसमे अरहत परमेष्ठीका नाम
है
प्रश्न :- दो अक्षर वाला मन्त्र कौन है ? उत्तर- "सिद्ध" यह दो अक्षर वाला मन्त्र है । इसमे सिद्ध परमेष्ठीका नाम है। प्रश्न १०.. एक अक्षर वाला मन्त्र कौन है ? उत्तर-"3" यह एक अक्षर वाला मंत्र है । इसमे पांचो परमेष्ठियोके नाम गभित है। प्रश्न ११-- "" मे पाँचो परमेष्ठियोके नाम किस प्रकार गभिन हो जाते है ?
उत्तर-- "ॐ" मे पांचो परमेष्ठियोके नामके प्रथम अक्षर है। जैसे अरिहतका "अ". सिद्धिका प्रपर नाम है अशरोर, सो अशरीरका 'अ', प्राचार्यका "अ" उपाध्यायका 'उ' और साधुका अपर नाम है मुनि, सो मुनिका 'म्', इस प्रकार अ+ +आ+उ+म्, इन सव अक्षरोको मन्धि कर देनेसे "ओ" यह शब्द बना । "ओ" की आकृति "ॐ" इस प्रकार भी लिखी जाती है।
प्रश्न १२-उक्त पाचो अक्षरोकी सन्धि किस प्रकार होतो है ?