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गाथा ३५
१७९ उत्तर- मस्तक, गला, हाथ, पैर, पेट, अंगुली आदि शरीरके अंगोको देखकर मनुष्य का शुभ अशुभ जाननेको अगनिमित्त कहते है।
प्रश्न ६५-- स्वरनिमित्त किसे कहते है ?
उत्तर-- मनुष्य, तिर्यञ्च या अचेतनवस्तुके शब्द मुनकर त्रिकाल सम्बन्धी शुभ अशुभ जाननेको स्वरनिमित्त कहते है।
प्रश्न ६६- भौमनिमित्त किसे कहते है ?
उत्तर-- भूमिका रूखापन, चिकनापन आदि देखकर भूमिके अन्दर पानी निधि आदि को जान लेने व शुभ, अशुभ, जीत, हार जान लेनेको भीमनिमित्त कहते है ।
प्रश्न ६७- अन्तरिक्षनिमित्त किसे कहते है ?
उत्तर-सूर्य चन्द्र आदिके ग्रहण व ग्रहोके उदय, अस्त व उल्कापात आदि देखकर त्रिकाल सम्बन्धी शुभ अशुभके जाननेको अन्तरिक्षनिमित्त कहते है ।
पश्न ६८- लक्षानिमित्त किसे कहते है ?
उत्तर- हथेली आदि शरीरके अवयवोमे कमल, चक्र, मीन, कलश आदि चिन्होको देखकर शुभ अशुभ जाननेको लक्षणनिमित्त कहते है ।
प्रश्न ६६-स्वप्ननिमित्त किसे कहते है ? उत्तर- शुभ अशुभ स्वप्नोके अनुसार शुभ अशुभ फल जाननेको स्वप्ननिमित्त कहते
प्रश्न ७०-निमित्तदोषमे क्या दोष आता है ? उत्तर-निमित्त नामक उपादान दोषमे रसास्वादन, दीनता आदि दोप है। प्रश्न ७१- वनीपकवचनदोष किसे कहते है ?
उत्तर-भोजनादि ग्रहण करनेके अभिप्रायसै वनीपक (याचक) की तरह दाताके अनुकूल वचन बोलकर पाहार ग्रहण करनेको वनीपकवचनदोप कहते है । जैसे कोई दाता पूछे । कि कुत्ता, कौवा, मासभोगी ब्राह्मण इत्यादिको दान देनेमे पुण्य है या नही, तव उत्तर देना "हाँ हे" आदि।
प्रश्न ७२- वनीपकवचनदोषमे क्या दोप पाता है ? उत्तर- वनीपकवचनमे दीनताका दोष नाता है। प्रश्न ७३-पाजीव दोप किसे कहते है ?
उत्तर- अपनी जाति, कुलकी शुद्धता प्रकट करके अपनी कला, चतुरता प्रकट करके यात्र-मन्त्र करके लोकोके द्वारा आहार उपार्जित करनेको श्राजीव दोप चाहते है।
प्रश्न ७४-~-माजीवकर्ममे क्या दोप आता है ?