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गाथा ३५ संक्लेशका कारण है।
प्रश्न ४६-मालारोहण दोष किसे कहते है ?
उत्तर-सीढी अथवा नसैनी पर चढकर अटारी वगैरह ऊपरके खण्डसे भोज्य पदार्थ लाकर साधुवोको देनेको मालारोहण दोष कहते है।
प्रश्न ४७- मालारोहणमे क्या दोष हो जाता है ? ___ उत्तर- इसमे ईपिथशुद्धि नही रहती व गृहस्थके विक्षेप होता है, उसके गिरने तक की भी संभावना रहती है । इसमे अदयाका दोष होता है ।
प्रश्न ४८- उक्त १६ उद्गमदोप किसकी चेष्टाके निमित्तसे होते है ?
उत्तर- उक्त १६ उद्गमदोष दातार श्रावककी चेष्टाके निमित्तसे होते है। दातार श्रावकको चाहिये कि ये १६ उद्गमदोषको टालकर साधुकी आहार देवे । यदि साधुको मालूम हो जावे कि दातारने इन १६ उद्गमदोपोमे से कोई दोष किया है तो साधु उस आहारको नही लेते है।
प्रश्न ४६- उद्गम शब्दका निरुक्त्यर्थ क्या है ?
उत्तर-उत् = उन्मार्ग, गम = गमन कराये याने ले जाये, जो उन्मार्गकी ओर ले जाय उसे उद्गग कहते है । तात्पर्य- जिन क्रियायोके द्वारा भोज्य व्रत्य उन्मार्ग अर्थात् आगमकी आज्ञाके विरुद्ध याने रत्नत्रयको घातक सिद्ध हो, ऐसी दाताकी क्रियानोको उद्गमदोष कहते है।
प्रश्न ५०- उत्पादन दोष १६ कौन कौनसे है ?
उत्तर- उत्पादन दोष ये है- (१) धात्रोदोप, (२) दूतदोष, (३) निमित्तदोष, (४) वनीपकवचनदोप, (५) आजीवदोप, (६) क्रोधदोष, (७) मानदोप, (८) मायादोप, (६) लोभदोष, (१०) पूर्वस्तुतिदोष, (११) पश्चात्स्तुतिदोप, (१२) वैद्यकदोष, (१३) विद्यादोष, (१४) मत्रदोष, (१५) पूर्णदोष, (१६) वशदोष ।
प्रश्न ५१- धात्रीदोप किसे कहते है ?
उत्तर-पाँच प्रकारकी धात्रियोमे से किसी भी धात्री जैसा गृहस्थके बालकके प्रति प्रयोग करके या प्रयोग कराकर अथवा उपदेश देकर इस कारणसे अनुरक्त गृहस्थके द्वारा दिये हुये भोजनको ग्रहण करना धात्रीदोप है ।
प्रश्न ५२-धात्रीदोपमे दोष क्या पाया ?
उत्तर-इसमे माधुका यह अभिप्राय रहता है कि इस रोतिसे गृहस्थ भोजन देनेको अथवा उत्तम भोजन देनेको उत्साहित होगा। यह अभिप्राय साधुतामे वडा दोषरूप है।
प्रश्न ५३- पॉच प्रकारकी धावो कौन-कौन है ?