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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका उत्तर- धात्रीके पांच भेद ये हे-(१) मार्जनधात्री, (२) क्रीडनधात्री, (३) मडनधात्री, (४) क्षीरधात्री, (५) स्वापनधात्री, ।
प्रश्न ५४-मार्जनधात्री, किसे कहते है ?
उत्तर- जो बालकको स्नान करानेका कार्य करके बालकका पोषण करे उमे मार्जनधात्री कहते है।
प्रश्न ५५- कीडनधात्री किसे कहते है ? उत्तर- जो बालकको नाना प्रकारसे क्रीडा करावे उसे क्रीडनधात्री कहते है । प्रश्न ५६- मडनधात्री किसे कहते है ? उत्तर- जो बालकको यथोचित भूपण आभूपण द्वारा अलकृत करे उसे मडनधात्री
कहते है।
प्रश्न ५७-क्षीरधात्री किसे कहते है ? उत्तर- जो बालकको दूध पिलाकर पुष्ट करे उसे क्षीरधात्री कहते है । प्रश्न ५८- स्वापनधात्री किसे कहते है ? उत्तर-जो बालकको सुलानेकी सेवा करे उसे स्वापनधात्री कहते है । प्रश्न ५६- दूतदोष किसे कहते है ?
उत्तर-सम्बन्धी पुरुषोका सन्देश ले जाकर, कहकर सतुष्ट किये गये दाताके द्वारा दिये हुये भोजनका लेना सो दूतदोप है ।
प्रश्न ६०-इसमे क्या दोष आता है ?
उत्तर-इस दूतदोष नामका दूसरे उत्पादन दोषमे साधुके इस उपायसे भोजन उपार्जन करनेका भाव रहता है व जिनशासनमे दूषण लगता है ।
प्रश्न ६१- निमित्तदोष किसे कहते है ?
उत्तर-अष्टागनिमित्तके ज्ञानको बताकर व उसके फलको बताकर सतुष्ट किये गये दाताके द्वारा दिये गये आहारके करनेको निमित्तदोष कहते है ।
प्रश्न ६२- भविष्यफलके निर्देशक निमित्तके आठ अङ्ग कौनसे है ?
उत्तर-भविष्यफलके निर्देशक निमित्तके आठ अग ये हैं-(१) व्यञ्जन, (२) अग, (३) स्वर, (४) छिन्न, (५) भौम, (६) अन्तरिक्ष, (७) लक्षण और (6) स्वप्न ।
प्रश्न ६३-व्यञ्जन निमित्त किसे कहते है ?
उत्तर-शरीरके किसी अगमे तिल, मस्सा, लहसन आदि व्यजन देखकर उससे शुभ तथा अशुभ फल जाननेको व्यजन निमित्त कहते है ।
प्रश्न ६४-अगनामक निमित्त किसे कहते है ?