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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका
चतुर्थ अधिकार सम्मदसणणारणं चरण मोक्खस्स कारण जाणे ।
ववहारा णिच्चयदो तत्तियमइयो णिनो अप्पा ॥३६॥ अन्वय-ववहारा सम्मदसणणाणं चरणं मोवखस्सकारणं जाणे, णिच्छयदो तत्तियमइयो णिो अप्पा।
___ अर्थ-व्यवहारनयसे सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान व सम्यकचारित्रको मोक्षका कारण जानो । निश्चयनयसे तत्त्रिकमय अर्थात् सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र-इन तीनों स्वरूप निज आत्माको मोक्षका कारण जानो।
प्रश्न १- मोक्षमार्गके दो भेद क्यो कहे गये ?
उत्तर- मोक्षमार्ग तो वास्तवमे एक है, किन्तु उसका साधक जो अन्य भाव है उसे भी बताना आवश्यक है, उसको व्यवहारसे मोक्षमार्ग कहते है। इस प्रकार मोक्षमार्ग दो हो जाते है- (१) निश्चयमोक्षमार्ग, (२) व्यवहारमोक्षमार्ग ।
प्रश्न २- इन दो प्रकारके मोक्षमार्गामे से क्या किसी एकसे मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर- मोक्ष तो निश्चयमोक्षमार्गसे ही प्राप्त होता है । व्यवहारमोक्षमार्गसे निश्चयमोक्षमार्ग प्राप्त किया जा सकता है । मोक्षमार्ग त्रितयात्मक होनेसे उन तीनोके भी निश्चय व व्यवहार सम्बन्धी दो-दो भेद हो जाते है। इस तरह इस प्रकरणमे ६ तत्त्व ज्ञातव्य हैं--- (१) व्यवहारसम्यग्दर्शन, (२) निश्चयसम्यग्दर्शन, (३) व्यवहारसम्यग्ज्ञान, (४) निश्चयसम्यग्ज्ञान, (५) व्यवहारसम्यक्चारित्र, (६) निश्चयसम्यक्चारित्र ।
प्रश्न ३- व्यवहारसम्यग्दर्शन किसे कहते है ?
उत्तर-- जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश, काल-इन छह द्रव्योका व जीव, अजीव पुण्य, पाप, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष- इन नव तत्त्वोका यथार्थ श्रद्धान करना व्यवहारसम्यग्दर्शन है।
प्रश्न ४-निश्चयसम्यग्दर्शन किसे कहते है ?
उत्तर- समस्त परद्रव्योसे भिन्न, रागादि उपाधिसे परे, निरञ्जन, चिच्चमत्कारमात्र निज शुद्धात्मतत्वस्वल्प अपनी प्रतीति होनेको निश्चयसम्यग्दर्शन कहते है।
प्रश्न ५-- व्यवहारसम्यग्ज्ञान किसे कहते हैं ?