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गाथा १६ :
अथवा इन सहित पुद्गलद्रव्य के पर्याय है । प्रश्न १-- पर्याय किसे कहते है ?
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उत्तर-- गुरणोकी अवस्थाको पर्याय कहते है ।
— प्रश्न २--पर्याय कितने प्रकार के होते है ?
उत्तर- पर्याय दो प्रकारके होते है-- (१) अर्थपर्याय, (२) व्यञ्जनपर्याय । व्यञ्जन = त्य प्रश्न ३-- प्रथंपर्याय किसे कहते है ?
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ते में होने वाली पड़गुण हानि बुद्धि रूप, (धनते भाग वृद्धि, असंख्यात भाग वृद्धि, सख्यात भाग वृद्धि, संख्यात गुण वृद्धि, असंख्यात गुरण वृद्धि, अनन्त गुण वृद्धि, अनन्त भाग हानि, असंख्यात भाग हानि, संख्यान भाग हानि, संख्यात गुण हानि, असंख्यात गुण हानि, अनन्त गुण हानि रूप ) अन्तः परिणमनको पर्याय कहते है । यह श्रर्थपर्याय सूक्ष्म है व वचनके अगोचर है ।
प्रश्न ४-- व्यञ्जनपर्याय किसे कहते है ?
उत्तर-- गुणोंको व्यक्त अवस्थाको व्यञ्जनपर्याय कहते है ।
प्रश्न ५ - व्यञ्जनपर्यायके कितने भेद हैं ?
उत्तर-- -- व्यञ्जनपर्यायके २ भेद है - (१) गुणव्यंजन पर्याय, (२) द्रव्यव्यंजन पर्याय । प्रश्न ६-- श्रर्थपर्याय किसे कहते है ?
उत्तर- वस्तुके प्रदेशवत्त्वगुण के अतिरिक्त अन्य समस्त गुणोके परिणमनको प्रर्थं पर्याय
कहते है । प्रश्न
७-- गुरणव्यजन पर्यायके कितने भेद है ?
उत्तर - गुणव्यंजन पर्यायके २ भेद है - (१) स्वभाव गुरणव्यजन पर्याय, (२) विभाव गुणव्यंजन पर्याय |
प्रश्न - स्वभाव गुणव्यंजन पर्याय किसे कहते है ?
उत्तर- परनिमित्त या सयोगके बिना गुणोके शुद्ध परिणमनको स्वभाव व्यजनपर्याय कहते है । शुद्ध परिणमन सम व एक स्वरूप होता है ।
प्रश्न 8- विभाव गुरणव्यजन पर्याय किसे कहते हैं ?
उत्तर-- पर सयोग व निमित्तको पाकर होने वाले गुरणोके विकृत परिणमनको विभाव गुणव्यंजन पर्याय कहते | विभाव परिणमन विषम व नाना प्रकारका होता है ।
प्रश्न १० - द्रव्यव्यञ्जन पर्याय किसे कहते है ?
(उत्तर- प्रदेशवत्त्व गुणके परिगमन व अनेक द्रव्योके सयोगसे होने वाले प्रदेश परि मनको द्रव्यव्यञ्जन पर्याय कहते है ।