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द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका ___ उत्तर-जिस कर्मके उदयसे परप्राणीका घात करने वाला देहमे अवयव हो उसे परघातनामकर्म कहते है।
प्रश्न १८६-पातपनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीर मूलमे तो ठंडा हो और दूरवर्ती पदार्थोके उष्ण हो जानेमे निमित्त हो तथा तेजोमय हो उसे आतपनामकर्म कहते है । इसका उदय सूर्यविमानके पृथ्वोकायिक जीवोमे पाया जाता है। सूत्र
प्रश्न १८७- उद्योतनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस कर्मके उदयसे शरीर मूलमे भी शीत हो और दूरवर्ती पदार्थोके उष्णता का कारण न हो तथा उद्योतरूप (चमकदार) हो उसे उद्योतनामकर्म कहते है । चन्द्रमा
प्रश्न १८८- उच्छ्वासनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे शरीरमे श्वास और उच्छ्वास प्रकट हो उसे उच्छ्वासनामकर्म कहते है।
प्रश्न १८६- विहायोगतिनामकर्म किसे कहते है ? उत्तर- जिस कर्मके उदयसे जीव गमन करे उसे विहायोगतिनामकर्म कहते हैं । प्रश्न १९०- प्रशस्तविहायोगतिनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस कर्मके उदयसे सुन्दर गमनविधि हो उसे प्रशस्तविहायोगतिनामकर्म कहते है । जैसे हस, घोडा आदिकी गति ।
प्रश्न १६१-अप्रशस्तविहायोगतिनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस कर्मके उदयसे असुन्दर गमनविधि हो उसे अप्रशस्तविहायोगतिनामकर्म कहते है। जैसे गधा, कुत्ता आदिकी गतिविधि ।
प्रश्न १९२- प्रत्येकशरीरनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे एक शरीरका अधिष्ठाता एक जीव हो उसे प्रत्येकशरीरनामकर्म कहते है।
प्रश्न १६३- सनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे अग उपाग सहित काय (शरीर) मिले उसे असनामकर्म कहते है । द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पञ्चेन्द्रिय जीव त्रस कहलाते है।
प्रश्न १९४-सुभगनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस कर्मके उदयसे प्राणीपर अन्य प्राणियोकी प्रीति उत्पन्न हो उसे सुभगनामकर्म कहते है।
प्रश्न १६५-सुस्वरनामकर्म किसे कहते है ?