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द्रव्यसंग्रह -- प्रश्नोत्तरी टीवा
उत्तर- व्रतसाधन के उपायभूत व्यवहारव्रत ५ प्रकार के है - ( १ ) श्रहिसा, (२) सत्य, (३) चौर्य, (४) ब्रह्मचर्य, (५) अपरिग्रह |
प्रश्न ३ -- हिसाव्रत किसे कहते है ?
उत्तर - अपने व परप्राणियोके प्रारणोका घात नही करना, पीडा नही पहुंचाना तथा संवलेश व दुर्भाव नही करना, सो अहिसाव्रत है ।
प्रश्न ४ – सत्यव्रत किसे कहते है ?
उत्तर - स्वपरके श्रहित करने वाले विपरीत वचन नही बोलना और न ऐसे वचन बोलने का भाव करना, सो सत्यव्रत है ।
प्रश्न ५ - प्रचौर्यव्रत किसे कहते है ?
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उत्तर - किसीको अधिकृत वस्तुको उसकी हार्दिक स्वीकृति के बिना न लेने और किसी भी परपदार्थको अपना न समझनेको अचौर्यव्रत कहते है ।
प्रश्न ६ - ब्रह्मचर्यव्रत किसे कहते है ?
उत्तर - मैथुन के परित्याग करने व तद्विषयक सभी प्रकारकी वाञ्छावोके न करनेको ब्रह्म कहते है ।
प्रश्न ७ - अपरिग्रहव्रत किसे कहते है ?
उत्तर- हिसाके परिहार के लिये कोमल पीछी, शुद्धिके लिये कमण्डन व ज्ञानवृद्धिके लिये २-१ पुस्तकके अतिरिक्त किसी भी प्रकारकी वस्तु न रखने और समस्त परपदार्थोंमे मूर्च्छा (ममत्व) न करनेको अपरिग्रहव्रत कहते है । सुरक्षित करने का भावी
प्रश्न ८-ये ५ प्रकारके व्रत भावसवरके विशेष क्यो है ?
उत्तर- इन पाँच प्रकारके व्रतोके आचरण शुद्धोपयोगकी साधना सुगम है, अतः ये भावसवरके विशेष है । (यदि व्रतोके पालन के विकल्प तक ही परिणाम हो तो वह भावसवर नही है, किन्तु शुभ व है ।
प्रश्न ६- समिति किसे कहते है ?
उत्तर --- चैतन्यस्वभावमय निज परमात्मतत्वमे सम् सम्यक् भले प्रकारसे अर्थात् हमे मत र,गादिनिरोधपूर्वक स्वभावलीनतासे पहुचनेको समिति कहते है । समईति त प्रश्न १० - इस समिति के साधनाके अर्थ व्यावहारिक कर्तव्य क्या है ?
उत्तर- समितिसावन के उपायभूत व्यवहारसमति ५ है- ( १ ) ईर्यासमिति, (२) भाषासमिति, (३) ऐपणासमिति, (४) आदान निक्षेपणसमिति और (५) प्रतिष्ठापनासमिति ।
प्रश्न ११ - ईर्यासमिति किसे कहते हैं ?