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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न ३०- पुण्यरूप घातियाकर्मोके अनुभाग किसके समान हैं ?
उत्तर- पुण्यरूप घातियाकर्मोके अनुभाग गुड, खांड, मिश्री और अमृत के समान उत्तरोत्तर मधुर है, फल देने वाले है।
प्रश्न ३१.- पापरूप घातियाकर्मोके अनुभाग किसके समान है ?
उत्तर-- पापरूप घातियाकर्मोके अनुभाग नीम, काजीर, विष और हालाहालके समान उत्तरोत्तर कटुक फल देने वाले है।
प्रश्न ३२-प्रदेशबन्ध किसे कहते है ? उत्तर- कर्मपरमाणुवोका परस्पर व जीवप्रदेशोके साथ बन्ध होनेको प्रदेशबन्ध कहते
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प्रश्न ३३---एक वारमे कितने कर्मपरमाणुवोका बन्ध होता है ?
-उत्तर-सिद्धोके अनन्तवें भाग और अभव्योसे अनन्तगुणे कर्मपरमाणुवोका एक समयमे बन्ध हो जाता है । यह सख्या इतने लम्बे मापकी है कि एक जीवके साथ इतने कर्मपरमाणुवोका बन्ध होता है और एक जीवके एक-एक प्रदेशपर इतने कर्मपरमाणुवोका बन्ध हो जाता है।
प्रश्न ३४- बद्ध कर्मपरमाणुद्रव्योका किस-किस कर्मप्रकृतिमे कितना विभाग होता
Inteउत्तर-सबसे अधिक वेदनीयकर्ममे, उससे कम मोहनीयकर्ममे, उससे कम ज्ञानावरण मे, ज्ञानावरणके बराबर दर्शनावरणमे, ज्ञानावरणके बराबर अन्तरायकर्ममे, उससे कम नामकर्ममे, नामकर्मके बराबर गोत्रकर्ममे और गोत्रकर्मसे कम आयुकर्ममे बद्ध कर्मस्कन्धके परमाणु बंट जाते है।
प्रश्न ३५- इस बटवारेको कौन करता है ?
उत्तर- यह विभाग स्वयं हो जाता है, इस विभागका भी कारण वही परिणाम है जो बन्धका कारण है । जैसे भोजन करनेके बाद पेटमे जो आहार पहुचा उसका कितना खून बने, कितना मल बने आदि बटवारा स्वय हो जाता है। उसका कारण कहा जा सकता है तो वही जठराग्नि।
प्रश्न ३६-चारो प्रकारके बन्ध किस कारणसे होते है ?
उत्तर- प्रकृतिबन्ध और प्रदेशबन्ध तो योगसे होते है और स्थितिबन्ध एवं अनुभाग'बन्ध कषायसे होते है।
प्रश्न ३७-योग किसे कहते है ? उत्तर-आत्माके प्रदेशोके परिस्पन्द होनेको योग कहते है ।