Book Title: Dravyasangraha ki Prashnottari Tika
Author(s): Sahajanand Maharaj
Publisher: Sahajanand Shastramala

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Page 171
________________ १६३ गाया ३४ भेद हो जाते है जो कि असंख्यात और अनन्त तक हो जाते है । असंज्ञी पचेन्द्रिय जाति व संत्री पञ्चेन्द्रियजाति, ये दोनो पचेन्द्रियजाति नामकर्मके भेद है । प्रश्न ३६-२३वीं बन्धापसरण किसका और कब होता है ? उत्तर - २२वें बन्धा पसरणमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम बन्ध होते होते जब शतपृथक्त्वसागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब तिर्यग्गति, तिर्यग्गत्यानुपूर्व्यं श्रौर उद्योत, इन तीन प्रकृतियोका एक साथ बन्धापसरण हो जाता है । प्रश्न ४०-- - २४वाँ बन्धापसरण कब और किसका होता है ? उत्तर- २३वें बन्धापसरणमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम बन्ध होते होते जब शतपृथक्त्वसागर कम स्थितिबंध हो जाता है तब नीच गोत्रकर्मका बन्धव्युच्छेद हो जाता है । प्रश्न ४१ - २५व बन्धापमरण किसका और कब होता है ? उत्तर—२४वें बन्धापसरणमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम बन्ध होते-होते जब शत'पृथक्त्वसागर कम बन्ध हो जाता है तब प्रशस्तविहायोगति, दुभंग, दुस्वर व श्रनादेय इन चारो प्रकृतियोका एक साथ बधापसररण हो जाता है । ह प्रश्न ४२ - २६व बन्धापमरण कब और किसका होता है ? उत्तर—२५वें बन्धापरणमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम बन्ध होते-होते जब शतपृथक्त्वसागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब हुडकसस्थान व असप्राप्तसृपाटिकासहनन, इन दोनो प्रकृतियोका एक साथ बन्धव्युच्छेद हो जाता है । पर्यर प्रश्न ४३ - २७वाँ बन्धापसरण किसका और कब होता है ? उत्तर—२६वें बन्धापसरणमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम कम बन्ध होते होते जब शतपृथक्त्व सागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब नपुसकवेदका बन्धव्युच्छेद होता है । प्रश्न ४४ - २८वीं बन्धापसरण किसका और कव होता है ? उत्तर- २७वे बन्धापसरगमे होने वाले स्थितिबन्धसे कम होते-होते जब शतपृथक्त्वसागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब वामनसस्थान और कीलितसहनन, इन दोनो प्रकृतियो का एक साथ बन्धव्युच्छेद हो जाता है । प्रश्न ४५ - २वां बन्धापसरण किसका और कब होता है ? उत्तर- २८वें बन्धापसरणमे होने वाले स्थितिबधसे कम बध होते होते जब शतपृयक्त्वसागर कम स्थितिबन्ध हो जाता है तब कुब्जकसंस्थान व प्रर्द्धनाराचसहनन, इन दोनो प्रकृतियोका एक साथ बन्धव्युच्छेद हो जाता है । प्रश्न ४६- ३०वीं बन्धापसरण किसका और कब होता है ? उत्तर- २६ वें बन्धापसर मे होने वाले स्थितिबन्धसे कम बंध होते-होते जब शतपृथ

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