________________
गाथा १७ असाधारण गुण बिना वरतु ही क्या रहेगी ?
प्रश्न ११- क्या सब द्रव्योंमे असाधारण गुण होते है ? उत्तर-- सभी द्रव्योंमें एक असाधारण स्वभाव (गुण) होता है । प्रश्न १२-जीवद्रव्यका असाधारण गुण कौन है ?
उत्तर-जीवद्रव्यका असाधारण गुण चैतन्य है । यह चैतन्य ज्ञान, दर्शन और मानन्द स्वरूप है।
प्रश्न १३- पुद्गल द्रव्यका असाधारण गुण क्या है ?
उत्तर-पुद्गलद्रव्यका असाधारण गुण मूर्तत्व है । यह मूर्तत्व, रूप, रस, गध, स्पर्श मय है।
प्रश्न १४-धर्मद्रव्यका असाधारण गुण क्या है ? उत्तर-धर्मद्रव्यका असाधारण गुण गतिहेतुत्व है। प्रश्न १५-- अधर्मद्रव्यका असाधारण गुण क्या है ? उत्तर-अधर्मद्रव्यका असाधारण गुण स्थितिहेतुत्व है। - प्रश्न १६-- कालद्रव्यका असाधारण गुण क्या है ? उत्तर- कालद्रव्यका असाधारण गुण परिणमनहेतुत्व है। प्रश्न १७- आकाशद्रव्यका असाधारण गुण क्या है ? उत्तर-प्राकाशद्रव्यका असाधारण गुण अवगाहनहेतुत्व है। प्रश्न १८-धर्मद्रव्य परिणमनशील है या नहीं ?
। उत्तर-धर्मद्रव्य परिणग्नशील है, क्योकि यह एक सत् है । प्रत्येक सत् परिणमनशील होते है, किन्तु धर्मद्रव्यका परिणमन केवल ज्ञानगम्य है । जैसे शुद्ध जीव (परमात्मा)। का परिणमन केवल ज्ञानमय है । परिणमनशील होकर भी प्रत्येक द्रव्य नित्य ध्रव होते है। यह धर्मद्रव्य भी नित्य ध्रुव है।)
प्रश्न १६-धर्मद्रव्य एक होकर सबके गमनमे सहकारी कारण कैसे हो सकता है ?
-उत्तर-आकाशके एक प्रदेशसे दूसरे प्रदेशपर पहुचनेका नाम गति है । यह गति एक स्वरूप है, अतः एकस्वरूप गति कार्यमे एक धर्मद्रव्य कारण होता है ।
प्रश्न २०-जिस स्थानका जीव पुद्गल चलता है क्या उस स्थानपर रहने वाले धर्मद्रव्यके प्रदेश गतिहेतु है या पूर्ण धर्मद्रव्य ?
उत्तर-पूर्ण धर्मद्रव्य गतिहेतु है । किसी भी द्रव्यकी यह परिस्थिति नही होती कि किसी द्रव्यको क्रियामे किसी अन्य व्यका कुछ भाग निमित्त कारण हो और कुछ न हो।
प्रश्न २१- धर्मद्रव्य एकप्रदेशी हो और वह कही भी सित हो वह एक ही सब