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परन्तु यह बताग्रो कि एक पुरुषके दोनो हाथके अवस्थानका क्षेत्र एक तो है नही, प्रत्यक्ष ही मालूम होता । भिन्न है, तो यही तात्पर्य आकाश द्रव्यमे विभागकल्पना बन गई ।
प्रश्न २ - प्रकाशके छोटेसे क्षेत्रपर कितने द्रव्य रह सकते है ?
उत्तर- अगुलके प्रसख्यातवे भाग क्षेत्रपर अनन्त तो जीव और उससे श्रनन्तानन्त गुरणे पुद्गल व असख्यात कालद्रव्य रह जाते है । धर्म, अधर्म तो लोकव्यापी है हो । प्रश्न ३ - प्रकाशके एक प्रदेशपर कितने द्रव्य रह सकते हैं ?
उत्तर -- आकाशके एक प्रदेशपर अनन्त परमाणुके पुञ्जरूप सूक्ष्मस्कन्ध व श्रनन्त परमाणु ठहर सकते है ।
प्रश्न ४- फिर पुदुगलके एक परमार से ही प्रदेशका भाव क्यो बताया ?
द्रव्यसंग्रह - प्रश्नोत्तरी टीका भिन्न है या वही एक है । हुआ कि श्रविभागी
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उत्तर--सूक्ष्मस्कन्ध परमाणुमात्र प्रदेशमे अवगाह करे प्रदेशमे श्रा जाय, इस कारण कितना भी सूक्ष्मस्कन्ध हो उससे प्रदेशका भाव निर्दोष नही होता । एक परमाणु एक प्रदेशसे अधिक स्थान कभी घेर ही नही सकता । अतः प्रविभागी पुद्गलाणुसे ही प्रदेशका भाव
बताया गया ।
जाननेपर वह अनन्तप्रदेशी है ।
प्रश्न ५ - पुद्गलाणु के साथ श्रविभागी विशेषण क्यो दिया ?
उत्तर - यद्यपि पुद्गलाणु अविभागी ही याने अविभाज्य ही होता है तथापि सूक्ष्मस्कन्धोको भी अणु शब्द से कहनेका व्यवहार लोकमे पाया जाता है । अत. श्रविभागी विशेषण पुद्गलार के साथ यहाँ लगाया है।
प्रश्न ६- श्राकाशमे अनन्त प्रदेश तो है, किन्तु वे पूरो सख्यामे हैं या ऊनी मख्यामे ? उत्तर- आकाशके प्रदेश पूरी सख्यामे है ।
प्रश्न ७- अलोकाकाशमे तो पुद्गल है ही नही तब तो वहा प्रदेश न होना चाहिये ? उत्तर -- लोकाकाशमे भी पुद्गल परमाणु है इस कारण प्रदेश हो, ऐसी बात नही है। पुद्गल परमाणु से तो प्रदेशका भाव बताया है । अलोकाकाशमे पुद्गल परमाणु नही है। तब भी प्रदेश विभागकी कल्पना यहाकी तरह हो जानी है।
प्रश्न ८ -- प्रखण्डप्रदेशीको अनन्तप्रदेशी माननेमे तो विरोध श्राता है ?
भेदह हिंसे
प्रश्न ६ - आकाशके किस भागमे लोकाकाश है ?
उत्तर - श्राकाशके ठीक मध्यभागमे लोकाकाश है, सारे श्राकाशमें यह एक ही ब्रह्माड है, इसलिये श्राकाशके मध्यमे ही ब्रह्माण्ड (लोकाकाश) सिद्ध होता है । इस लोकाकाशके सर्व