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गाथा ३०
प्रमाद कहते है 1
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प्रश्न ६३ - स्नेहप्रमाद किसे कहते है ?
उत्तर -- किसी पदार्थ या प्राणीविषयक स्नेह करके शुद्ध स्वरूपानुभवसे चलित हो जानेको स्नेहप्रमाद कहते है ।
प्रश्न ६४ - प्रमादके सयोगी भेद कितने है ?
उत्तर -- प्रमादके सयोगी भेद ८० होते है -- ४ विकथा, ४ कषाय, ५ इन्द्रियविषय - इनका परस्पर गुणा करनेसे ८० भेद हो जाते है । इन सब भेदोके साथ निद्रा व स्नेह लगाते जाना चाहिये ।
प्रश्न ६५ - कषायके कितने भेद है ?
उत्तर—कषायके मूल भेद ४ है - (१) क्रोध, (२) मान, (३) माया, (४) लोभ । प्रश्न ६६ - कषायके उत्तरभेद कितने है ?
उत्तर- कषायके उत्तरभेद २५ है - ( १ - ४) श्रनन्तानुबधी क्रोध, मान, माया, लोभ, ( ५--८) श्रप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, ( ६-- १२) प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, (१३--१६) सज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ, (१७) हास्य, (१८) रति, (१६) अरति, (२०) शोक, (२१) भय, (२२) जुगुप्सा, (२३) पुरुषवेद, : (२४) स्त्रीवेद मोर (२५) नपुंसक वेद ।
प्रश्न ६७ - अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ किसे कहते है ?
उत्तर - जो क्रोध, मान, माया, लोभ मिथ्यात्व को बढावे उसे अनन्तानुबन्धी क्रोध, मान, माया, लोभ कहते है ।
प्रश्न ६८ - अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ किसे कहते है ?
उत्तर - जो क्रोध, मान, माया, लोभ देशसयमका घात करे याने देशसयमको प्रकट न होने दे उसे श्रप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ कहते है ।
- प्रश्न ६६- प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ किसे कहते है ?
उत्तर- जो क्रोध, मान, माया, लोभ सकलसयमका घात करे याने सकलसयमको प्रकट न होने दे उसे प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ कहते है ।
प्रश्न ७० --- सज्वलन क्रोध, मान, माया, लोभ किसे कहते है ?
उत्तर - जो क्रोध, मान, माया, लोभ यथाख्यात चारित्र ( कषायके प्रभावमे होने वाला चारित्र) को घाते याने यथाख्यात चारित्रको प्रकट न होने दे उसे सज्वलन क्रोध, मान,
माया,
लोभ कहते है ।
प्रश्न ७१ - हास्य किसे कहते है ?
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