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गाथा ३१
उत्तर-जिस नामकर्मके उदयसे शरीरके अङ्ग और उपाङ्गोकी निष्पत्ति होती है उसे अङ्गोपाङ्गनामकर्म कहते है।
प्रिश्न ११८- अङ्ग कितने और कौन-कौनसे है ?
उत्तर- अङ्ग ८ होते है- (१) दक्षिण पाद, (२) वाम पाद, (३) दक्षिण हस्त, (ड) वाम हस्त, (५) नितब, (६) पीठ, (७) हृदय, (८) मस्तक ।
प्रश्न ११६- उपाङ्ग कितने और कौन-कौनसे है ?
उत्तर-- कपाल, ललाट, कान, नाक, अोठ, अगुली, ठोडी आदि अनेक उपाङ्ग होते हैं।
प्रश्न १२०-औदारिक शरीर अङ्गोपाङ्गनामकर्म किसे कहते हैं ?
उत्तर-जिस नामकर्मके उदयसे औदारिक शरीरके अङ्ग और उपाङ्गोकी रचना हो उसे औदारिक शरीर अङ्गोपाङ्ग नामकर्म कहते है ।
प्रश्न १२१- वैक्रियकशरीर अङ्गोपाङ्गनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे वैक्रियक शरीरके अङ्ग और उपाङ्गोकी निष्पत्ति हो उसे वैक्रियकशरीर अङ्गोपाङ्गनामकर्म कहते है।
प्रश्न १२२- पाहारकशरीर अङ्गोपाङ्गनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर- जिस कर्मके उदयसे आहारक शरीरके अङ्ग और उपाङ्गोकी रचना हो उसे पाहारकशरीर अङ्गोपाङ्गनामकर्म कहते है ।
प्रश्न १२३-- निर्माणनामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस नामकर्मके उदयसे अङ्ग उपागोकी यथायोग्य ठीक-ठीक प्रमाणसे और ठीक-ठीक स्थानपर निष्पत्ति हो उसे निर्माणनामकर्म कहते है ।
प्रश्न १२४- बन्धननामकर्म किसे कहते है ? ।
उत्तर-- जिस नामकर्मके उदयसे जीवसम्बध वर्तमान पुद्गल सम्बधोके साथ शरीररूप परिणत होने वाले पुद्गलस्कन्धोका परस्पर बन्धन हो उसे बन्धननानकर्म कहते है।
प्रश्न १२५- औदारिकशरीर बन्धननामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-- जिस नामकर्मके उदयसे जीवसबद्ध वर्तमान पुद्गलस्वान्धोके साथ औदारिक शरीररूप परिणत हुए पुद्गलस्कन्धोका परस्पर बन्धन हो उसे औदारिक शरीरबन्धननामकर्म कहते है।
प्रश्न १२६- वैक्रियकशरीर बन्धननामकर्म किसे कहते है ?
उत्तर-जिस नामकर्मके उदयसे जीवसबद्ध वर्तमान पुद्गलस्वन्धोके साथ वैक्रियक शरीररूप परिणत हुए पुद्गलस्कन्धोका परस्पर बन्धन हो उसे वैकि यकशरीर बन्धननामकर्म