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द्रव्यसग्रह - प्रश्नोत्तरी टीका
उत्तर- किसीकी किसी बातकी कमी देखकर हास्य मजाक करने व लौकिक सुख पाकर हंसनेको हास्य कहते है ।
प्रश्न ७२ - रति किसे कहते है ?
उत्तर -- इष्ट विषय पाकर या सोचकर उसमे प्रीति करनेको रति कहते है ।
प्रश्न ७३ - अरति किसे कहते है ?
उत्तर - अनिष्ट विपयको पाकर या सोचकर उसमे अप्रीति करनेको श्ररति कहते है ? प्रश्न ७४- - शोक किसे कहते है ?
उत्तर - अनिष्ट प्रसङ्ग उपस्थित होनेपर या उसका चिन्तवन करनेपर रज रूप परिणाम होनेको शोक कहते है ।
प्रश्न ७५ - भय किसे कहते है ?
उत्तर - अपनी कल्पनानुसार जिसे अहित माना है उससे शङ्का करने या डरनेको भय कहते है ।
प्रश्न ७६ - जुगुप्सा किसे कहते है ?
उत्तर - अरुचिकर विषयोमे ग्लानि करनेको जुगुप्सा कहते है ।
प्रश्न ७७- पुरुषवेद किसे कहते है ?
उत्तर -- श्रात्मीय गुण, पुरुषार्थके विकासमे उत्साह व यत्न करनेको पुरुषवेद कहते है अथवा स्त्रीकेसाथ रमरण करनेके अभिलाष परिणामको पुरुषवेद कहते है ।
प्रश्न ७८- स्त्रीवेद किसे कहते है ?
उत्तर- मायाचारकी मुख्यता, पुरुषार्थं मे निरुत्साह, भयशीलता आदिक परिणामको अथवा पुरुष के साथ रमरण करनेके अभिलाष परिणामको स्त्रीवेद कहते है ।
प्रश्न ७६ – नपुसकवेद किसे कहते है ?
उत्तर - कायरता व कर्तव्य मे निरुत्साह आदि परिणामको अथवा पुरुष व स्त्री दोनो के साथ रमण करनेके परिणामको नपुसकवेद कहते है ।
प्रश्न ८० - योग किसे कहते है ?
उत्तर- मन, वचन, कायके निमित्तसे आत्मप्रदेशके परिस्पद होनेके कारणभूत प्रयत्न को योग कहते है ।
प्रश्न ८१ - योगके कितने भेद है ?
उत्तर----योगके मूल भेट ३ है-- (१) मनोयोग, (२) वचनयोग, (३) काययोग | योगके उत्तर भेद १५ है- (१) सत्यमनोयोग, (२) असत्यमनोयोग, (३) उभयमनोयोग, (४) अनुभयमनोयोग, (५) सत्यवचनयोग, (६) असत्यवचनयोग, (७) उभयवचनयोग,