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प्रश्न ७– द्वयरणुक, त्र्यरणुक श्रादि स्कन्ध आकाशके कितने प्रदेश मे रहते है ? उत्तर-- एक, दो प्रादि स्कन्ध प्रदेशो आदिमे कितने भी कम मे रह सकते है । इसका
गाथा २७
कारण परमाणुवोका परमाणुमे अप्रतिघात शक्तिका होना है ।
प्रश्न ८ -
कैसे
?
परमाणु की उत्पक्ष होता है ये टासे उत्पन्न नहीं होता है। वह तो स्वयं
स्कन्धसे अलग होकर परमाणु रह जाता है । परमाणुकी उत्पत्ति भेदसे ही होती है अर्थात्, स्कन्धसे अलग होनेसे ही होती है ।
प्रश्न 8- स्कन्ध कैसे बनता है ?
मिलना
उत्तर-स्कन्ध भेदसे भी बनता है और सुघात अर्थात् मेलसे भी बनता है । कुछ स्कधाशोका भेद होनेसे और कुछ स्कधाशोका संघात होनेसे अर्थात् भेदसघात से भी बनता है । / प्रश्न १० – स्कन्ध भी भेदसे बनता है तो क्या परमाणु और इस स्कन्धके - बननेका एक ही उपाय है ?
उत्तर- परमाण बनने का भेद तो अन्तिम भेद है, परन्तु स्कन्ध बनने का भेद अन्तिम नही अर्थात् वहाँ अनेक परमाणुवोके स्कन्धका भेद होनेपर भी अनेक परमाणुवोका स्कन्ध रहता है । जैसे ५०० परमाणुवोके स्कन्धका ऐसा भाग हो जाय कि एक स्कन्धांश ३०० परमाणुका रह जाय व दूसरा स्कन्ध २०० परमाणुवोका रह जाय, इत्यादि । प्रश्न ११- इस परमाणुको जानकर हमे क्या शिक्षा लेनी चाहिये ? उत्तर - जैसे एक परमाणु निरुपद्रव है उसके साथ अन्य होनेसे उसे नाना स्थितियोमे गुजरना पडता है । इसी तरह मै भी परद्रव्यके सयोग, बन्ध उपयोगसे ही अनेक योनियोमे गुजरना निवृत्त होनेके लिये अपने एकत्वका ध्यान करना चाहिये । अब प्रदेशका लक्षण बताते है
परमाणुओका सयोग बध एक रहू तो निरुपद्रव हु । पडता है । अतः उपद्रवसे
जावदियं आयासं प्रविभागी पुग्गलारवदृद्ध | तं खुपदेस जाणे सव्वारमुद्वाणदागरिह ॥ २७ ॥
श्रन्वय - जावदियं प्रायास अविभागी पुग्गलारगुवट्टद्ध खु त सव्वारगुद्वारणदारणरिह पदेसं
जाणे ।
अर्थ -- जितना श्राकाश श्रविभागी पुद्गल परमाणुके द्वारा प्रवष्टब्ध याने रोका जाता है, घेरा जाता है निश्चयसे उसे सब परमाणुवोको स्थान देनेमे समर्थ प्रदेश जानो । प्रश्न १- अखण्ड श्राकाशमे प्रदेशविभाग करना कैसे उत्तर
बन सकता है ?
तर - अखण्ड श्राकाशका भाव यह है कि यह एक
द्रव्य है, है नि सीम विस्तृत ।