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गाथा २५ भी असख्यात प्रदेश वाले है।
प्रश्न ५-आकाशमे अनन्त प्रदेश क्यो है ?
उत्तर-आकाश निःसीम है इसका कही भी अन्त नही, अतः आकाशके अनन्त प्रदेश निर्वाध सिद्ध है।
प्रश्न ६ पुद्गलमें तीन प्रकारके परिमाणके प्रदेश क्यो है ?
Lउत्तर--(पुद्गल स्कन्ध कोई सख्यात परमाणुवोका है। कोई असंख्यात परमाणुवोका है, कोई अनन्त परमाणुवोका है, प्रत पुद्गलको तीन प्रकारके परिमाण वाले प्रदेशयुक्त कहा है। इसके प्रदेश परिमाण, पूर्वोक्त तीन द्रव्योकी तरह प्राकाश क्षेत्र घेरनेकी अपेक्षासे नही लगाना चाहिये।
प्रश्न ७- पुद्गलके प्रदेश प्रकाशक्षेत्रकी अपेक्षासे क्यो नही ? ।
उत्तर-यदि आकाश क्षेत्र घेरनेकी अपेक्षासे पुद्गल प्रदेश माने जावे तो केवल असंख्यात प्रदेशी ही पुद्गल स्कन्ध समा सकते है अन्य कोई स्कन्ध भी नही होगे । सो ऐसा प्रत्यक्षविरुद्ध है और ऐसा माननेपर जीव द्रव्य अशुद्ध भी सिद्ध नहीं हो सकता।
प्रश्न ८-पुद्गल स्कन्ध तो पर्याय है वास्तविक पुद्गल द्रव्यमे कितने प्रदेश है ?
उत्तर-वास्तवमे पुद्गलद्रव्य परमाणुका नाम है उसमे प्रदेश एक ही होता है, किन्तु उसमे स्कधरूपसे परिणति हो जानेका सामर्थ्य है अतः वह प्रदेशी माना है । यह तीन प्रकारसे प्रदेशपरिमाण पुद्गल स्कन्धोका कहा है।
प्रश्न :-जीवद्रव्य जव लोकभरमे फैले तभी क्या असख्यात प्रदेशमे रहता है, अन्य समय क्या कम क्षेत्रमे रहता है ? Srh उत्तर-जीवद्रव्य सदा असख्यात प्रदेशोमे रहता है। छोटी अवगाहनाके देहमे भी
हो तो वह देह भी आकाशके असख्यात प्रदेशोमे विस्तृत होता है । सारा लोक भी असंख्यात प्रदेश वाला है और छोटी देहावगाहना जितने क्षेत्रको घेरता है वह भी असख्यात प्रदेश प्रमाण है । असख्यात असख्यात प्रकारके होते है।
प्रश्न १०- कालद्रव्यके एक प्रदेशमात्रपनेकी सिद्धि कैसे है ?
उत्तर-यदि कालद्रव्य एक प्रदेशमात्र न हो तो समय पर्यायकी उत्पत्ति नही हो। सकती । एक द्रव्यागु याने परमाणु एक कालाणुसे दूसरे कालागुपर मन्दगतिसे गमन करे वहा समय पर्यायकी प्रसिद्धि है। यदि कालद्रव्य बहुप्रदेशी होता तो एक समयकी निष्पत्ति नही होती।
अब एक प्रदेशी होनेपर भी पुद्गल परमाणुके अस्तिकायपना सिद्ध करते है