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गाथा २५
१.७
प्रश्न
८- काय शब्दका निरुक्त्यर्थ क्या है ?
उत्तर- 'चीयते इति कायः' जो सगृहीत हो उसे काय कहते है |
प्रश्न 8- क्या द्रव्योके प्रदेश सगृहीत हुए है ?
उत्तर - द्रव्योके प्रदेश संगृहीत नही हुए है, अनादिसे द्रव्य सहज स्वप्रदेशमय है । 1. किन्तु संग्रहीत श्राहारवर्गणाओके पुञ्जरूप काय याने शरीरकी तरह द्रव्योमे भी बहुप्रदेश है, "अंतः इन पांचो द्रव्योको भी काय कहते है |
——प्रश्न १० -- क्या शुद्ध द्रव्यमे भी बहुप्रदेशीपना रहता है ?
उत्तर- (धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य व आकाशद्रव्य - ये तीन अस्तिकाय तो सदा शुद्ध ही रहते है और बहुप्रदेशी है । पुद्गलस्कन्धमे से किसी पुद्गलद्रव्यके शुद्ध होनेपर भी याने केवल परमाणु रह जानेपर भी शक्तिकी अपेक्षा बहुप्रदेशीपना है । जीव द्रव्यके शुद्ध होनेपर याने द्रव्यकर्म, भावकर्म और नोकर्म इन सबसे मुक्त होनेपर भी वह बहुदेशी रहता है । ११-- अशुद्ध द्रव्यके शुद्ध हो जानेपर सत्ता कैसे रहती ? guja उत्तर- पुद्गल स्कन्धमे से पुद्गल परमाणुके शुद्ध होनेपर भी और संसारी जीवके संसारसे मुक्त होनेपर भी सत्ता रहती है, क्योकि उनमे उत्पादव्ययघ्रोव्य निरतर रहता ही है। प्रश्न १२ - परमाणुमे उत्पाद व्यय धौव्य कैसे है ? प्रश्न
उत्तर - स्कन्ध रूपकी विभावव्यञ्जन पर्यायका व्यय शुद्ध परमाणुरूप स्वभावव्यञ्जन | पर्यायका उत्पाद शुद्ध परमाणुमे है और द्रव्यत्व अथवा प्रदेश वही है सो धीव्य है, इस तरह शुद्धपरमाणुमे उत्पादव्ययघ्रौव्य है । यह व्यञ्जनपर्यायकी अपेक्षा उत्पादव्ययध्रौव्य हुआ । प्रश्न १३ - शुद्ध परमाणुमे अर्थ पर्यायकी अपेक्षा उत्पादव्ययघ्रौव्य कैसे है ? gnup उत्तर - शुद्ध परमाणुमे वर्तमान रूप, रसादि गुणोकी पर्यायका उत्पाद व पूर्वकी रूप, रसादि पर्यायका व्यय और परमाणु वही है सो ध्रौव्य इस प्रकार उत्पाद व्यय धीव्य है । प्रश्न १४ - शुद्ध जीवमे उत्पाद व्यय ध्रौव्य कैसे है ?
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24 उत्तर- मनुष्यगतिरूप विभावव्यञ्जन पर्यायका व्यय व सिद्धपर्यायरूप स्वभाव | व्यञ्जनपर्यायका उत्पाद और जीव प्रदेश वही है अथवा द्रव्यत्व वही है सो ध्रौव्य इस ( प्रकार शुद्ध जीवमे उत्पाद व्यय ध्रौव्य है । यह व्यञ्जनपर्यायकी अपेक्षा उत्पाद, व्यय, श्रीव्य है ।
प्रश्न १५ - अर्थ पर्यायकी अपेक्षा शुद्ध जीवमे उत्पाद, व्यय,
ध्रौव्य कैसे है ?
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नन्वज्ञान, दर्शन, आनन्द
mp उत्तर- परमसमाधिरूप कारण समयसारका व्यय और विकास रूप कार्य समयसारका उत्पाद व जीवद्रव्य वही है सो यही है ध्रौव्य इस प्रकार शुद्ध जीवमे उत्पाद व्ययधीव्य है ।