________________
द्रव्यसंग्रह--नोत्तरी टीका उत्तर - जलकायिक जीवोकी विराधनाका त्याग न करना और विलोरना, तपाना, गिराना, हिलाना श्रादि प्रवृत्तियोसे उनकी विराधना करनेको जलकायनविरति कहते है । प्रश्न ३५ - अग्निकायप्रविरति किसे कहते है ?
उत्तर- अग्निकायिक जीवोकी विराधनाका त्याग न करना और बुझाना, खुदेरना, बन्द करना यादि प्रवृत्तियोसे उनकी विराधना करनेको अग्निकायनविरति कहते है ।
१२०
प्रश्न ३६ - वायुकायविरति किसे कहते है ?
उत्तर - वायुकायिक जीवोकी विराधनाका त्याग न करना और पखा चलाना, रबड श्रादिमे बन्द करना आदि प्रवृत्तियोसे उनकी विराधना करनेको वायुकायिकविरति कहते है । प्रश्न ३७ - वनस्पतिकायिक अविरति किसे कहते है ?
उत्तर- वनस्पतिकायिक जीवोकी विराधनाका त्याग न करना और छेदना, काटना, पकाना, सुखाना श्रादि प्रवृत्तियोसे उनकी विराधना करनेको वनस्पतिकायनविरति कहते है । प्रश्न ३८ --- सकायनविरति किसे कहते है ?
उत्तर- द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पञ्चेन्द्रिय जीवोकी विराधनाका त्याग न करना और पीटना, दलना, मलना, मारना, चित्त दुखाना आदि प्रवृत्तियोसे उनको विराधना करना, सो सकायनविरति है ।
प्रश्न ३६ - विपयश्रविरतिके भेद कौन-कौन है ?
उत्तर- स्पर्शनेन्द्रियविषय अविरति, रसनेन्द्रियविषय अविरति घ्राणेन्द्रियविषय अविरति, चक्षुरिन्द्रियविषय श्रविरति श्रोत्रेन्द्रियविषय श्रविरति और मनोविषय श्रविरति-- ये ६ भेद विषय अविरति के है ।
प्रश्न ४०-- स्पर्शनेन्द्रिय विषयविरति किसे कहते है
?
उत्तर- स्पर्शनेन्द्रियके विषयोसे विरक्त नही होने और शीतस्पर्शन, उष्णस्पर्शन, कोमलस्पर्शन, मैथुन आदि क्रियाओ से स्पर्शनेन्द्रियके बिषयमे प्रवृत्ति करने को स्पर्शनेन्द्रियविषय अविरति कहते है |
प्रश्न ४१ - रसनेन्द्रिय विषयाविरति किसे कहते है
?
उत्तर - रसनाइन्द्रियके विषयोसे विरक्त न होने व मधुर नाना व्यञ्जन रसोके भक्षण पानकी प्रवृत्ति करनेको रसनेन्द्रियविषय अविरति कहते है ।
प्रश्न ४२ - घ्राणेन्द्रियविषय अविरति किसे कहते है ?
उत्तर- घ्राणेन्द्रिय (नासिका) के विषयोसे विरक्त न होने व सुहावने सुगन्धित पुष्प,
इतर प्रादिके सूघनेको घ्राणेन्द्रियविषय अविरति कहते है ।
प्रश्न ४३ -- चक्षुरिन्द्रियविषय अविरति किसे कहते है ?