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गाथा ३०
११७ प्रश्न ३- मिथ्यात्वके ५ भेद कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर-मिथ्यात्वके ५ भेद ये है-(1) एकान्तमिथ्यात्व, (२) विपरीतमिथ्यात्व, (३) सशयमिथ्यात्व, (४) विनयमिथ्यात्व और (२) अंज्ञानमिथ्यात्व ।
प्रश्न ४- एकान्नमिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर- अनन्तधर्मात्मक वस्तुमे एक ही धर्म माननेके हठ या अभिप्रायको एकान्तमिथ्यात्व कहते है।
प्रश्न ५–विपरीतमिश्यात्व किसे कहते है ? .. नत्तर- वस्तुस्वरूपके बिल्कुल विरुद्ध तत्त्वरूप वस्तुको मानना विपरीतमिथ्यात्व है। प्रश्न ६-सशयमिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर-वस्तुस्वरूपमे "यह इस भांति है अथवा इस भॉति" इत्यादि रूपसे संशय करनेको सशयमिथ्यात्व कहते है।
प्रश्न ७-विनयमिथ्यात्व किसे कहते है ?
उत्तर- देव-कुदेव, शास्त्र-कुशास्त्र, गुरु-कुगुरु मादिका विचार किये बिना सबको समान भावसे मानना, विनय करना विनयमिथ्यात्व है।
प्रश्न - अज्ञानमिथ्यात्व किसे कहते है ? । उत्तर–वस्तुस्वरूपका कुछ भी ज्ञान नही होना, हित-अहितका विवेक न होना अज्ञानमिथ्यात्व है।
प्रश्न - अविरति किसे कहते है ? diउत्तर- निज शुद्ध आत्मतत्त्वके आश्रयसे उत्पन्न होने वाले सहज आनन्दकी रति न होने व पापकार्योमे प्रवृत्त होनेको या पापकार्योंसे विरत न होनेको अविरति कहते हैं।
प्रश्न १०- अविरतिके कितने भेद है ? उत्तर-अविरतिके सामान्यतया ५ भेद है और विशेषता १२ भेद है। प्रश्न ११- अविरतिके ५ भेद कौन-कौनसे है ? उत्तर- हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रहेच्छा- ये ५ अविरतिके भेद है। प्रश्न १२- हिसा किसे कहते है ? उत्तर- कषायके द्वारा अपने व परके प्राणोके घात करनेको हिसा कहते हैं।
प्रिश्न १३- परके घातमे अपनी हिसा तो नही होती होगी? IM उत्तर-कषायवश दूसरोके घात करनेमे अपनी हिसा तो सुनिश्चित ही है । दूसरोके घातका उद्यम भी किया जावे और उससे परजीवका चाहे घात न भी हो तो भी निहिंसा तो ही हो जाती है।