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द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न २-गमन क्रिया कितने द्रव्योमे होती है ? उत्तर-गतिक्रिया केवल जीव और पुद्गल इन दो जातिके द्रव्योमे होती। प्रश्न ३- धर्म, अधर्म, आकाश व कालमे गतिक्रिया क्यो नही होती है ? . उत्तर-जीव पुद्गलमे ही क्रियावती शक्ति है । धर्मद्रव्य, अधर्मद्रव्य, आकाशद्रव्य और कालद्रव्य-इन चार द्रव्योमे क्रियावती शक्ति नही है, अत. इनमे गति क्रिया नहीं हो सकती।
प्रश्न ४- धर्मद्रव्य स्वय निष्क्रिय है वह दूसरोकी गतिमे कैसे कारण होगा?
उत्तर-- जैसे जल स्वय न चलता हुआ भी मछलीके गमनमे सहकारी कारण है, वैसे धर्मद्रव्य भी स्वय निष्क्रिय होकर जीव पुद्गलके गमनमे सहकारी कारण है।
प्रश्न ५-धर्मद्रव्य अमूर्त है उसका तो किसीसे सयोग भी नही हो सकता, फिर यह दूसरोकी गतिमे कैसे कारण हो सकता है ?
उत्तर- जैसे सिद्धभगवान अमूर्त है तो भी वे "मै सिद्ध समान अनन्त गुण स्वरूप हू" इत्यादि भावनारूप सिद्धभक्ति करने वाले भव्य जीवोके सिद्धगतिमे सहकारी कारण है, वैसे धर्मद्रव्य अमूर्त है तथापि अपने उपादान कारणसे चलने वाले जीव व पुद्गलोके गमनमे सह-/ कारी कारण है।
प्रश्न ६-धर्मद्रव्य गतिमे सहकारी कारण है इसका मर्म क्या है ?
उत्तर-कोई भी द्रव्य किसी भी अन्य द्रव्यकी परिणतिका कर्ता या प्रेरक नही) होता । जो द्रव्य जिस योग्यता वाला है वह विशिष्ट निमित्तको पाकर स्वय अपने परिणमनसे परिणमता है । इसी न्यायसे गमन क्रियामे परिणत जीव, पुद्गल धर्मद्रव्यको निमित्तमात्र पाकर स्वय अपने उपादान कारणसे गतिक्रियारूप परिणम जाते है । धर्मद्रव्य किसीको प्रेरणा करके चलाता नही है । यही सहकारी कारणका भाव है।
प्रश्न ७-धर्मद्रव्य कितने हैं ? उत्तर-धर्मद्रव्य एक ही है और उसका परिमाण समस्त लोकप्रमाण है । प्रश्न ८-धर्मद्रव्यमे कितने गुण है ?
उत्तर- धर्मद्रव्यमे अस्तित्व, वस्तुत्व आदि अनेक सामान्य गुण है और अमूर्तत्व निष्क्रियत्व आदि अनेक साधारण गुण है । धर्मद्रव्यमे असाधारण गुण गतिहेतुत्व है।
प्रश्न - सामान्य गुण न माननेपर क्या हानि है ? उतर- सामान्य गुण न माननेपर वस्तुकी सत्त्व मात्र ही सिद्ध नहीं होता। प्रश्न १०-असाधारणगुण न माननेपर क्या हानि है ? उत्तर- असाधारणगुण न माननेपर वस्तुकी अर्थक्रिया हो. नही हो सकती अर्थात्