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द्रव्यसंग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका ठीक नही । दोनो ही सद्भावरूप है । जैसे प्रकाश स्कन्धके प्रदेशोकी अवस्था है वैसे अन्धकार भी स्कन्धके प्रदेशोकी अवस्था है।
प्रश्न ५०-छाया किसे कहते है ?
उत्तर-किसी पदार्थके निमित्तसे प्रकाशयुक्त अथवा स्कन्ध पदार्थपर प्रतिबिम्ब होने को छाया कहते है । जैसे वृक्षकी पृथ्वीपर छाया, दर्पणमे मनुष्यका प्रतिबिम्ब जलमे चन्द्रमाका प्रतिबिम्ब आदि ।
__ प्रश्न ५१-ये प्रतिविम्व वृक्ष, मनुष्य और चन्द्रके है, अतः उन्हीके पर्याय होना चाहिये ?
उत्तर-वृक्ष, मनुष्य, चन्द्र तो निमित्त मात्र है, ये प्रतिबिम्ब तो पृथ्वी दर्पण जलके पर्याय है, क्योकि जो जिसके प्रदेशमे परिणमता है वह उसकी ही पर्याय होती है । , प्रश्न ५२-- उद्योत किसे कहते है ?
उत्तर-अधिक उजाला उत्पन्न नही करने वाले विशिष्ट प्रकाशको उद्योत कहते हैं । प्रश्न ५३-यह उद्योत किन पदार्थोमे होता है ?
उत्तर-चन्द्रविमानमे, विशिष्ट रत्नोमे जुगुनू आदि तिर्यंच जीवोके शरीरमे उद्योत होता है । यह उद्योत भी रूप, रस, गन्ध और स्पर्शगुणका परिणमन नही है किन्तु पुद्गल द्रव्यकी द्रव्यपर्याय है।
प्रश्न ५४- प्रातप किसे कहते है ?
उत्तर-जो मूलमे तो शीनल हो, किन्तु अन्य पदार्थोके उष्णता उत्पन्न होनेमे निमित्त हो उसे आतप कहते है।
प्रश्न ५५.- प्रातप किन पदार्थोंमे होता है ?
उत्तर-- सूर्यविमानमे, सूर्यकान्त आदि मरिणयोमे यह आतप होता है। प्रातप जीवके कार्योंमे से केवल पृथ्वीकायमे ही होता है । आतप भी रूप, रस, गन्ध और स्पर्शका परिणमन ही नही है किन्तु पुद्गलकी द्रव्यपर्याय है।
प्रश्न ५६-गाथोक्त १० पर्यायोके अतिरिक्त पुद्गलको अन्य भी द्रव्यपर्यायें होती है या नही?
उत्तर-- ये १० पर्याये तो मुख्यतासे बताई है इनके अतिरिक्त और भी द्रव्यपर्यायें । है। इनकी पहिचान मुख्य यह है कि जो रूप, रस, गन्ध, स्पर्श गुणका परिणमन तो न हो और स्कन्ध प्रदेशोमे परिणमन पाया जावे उन्हे पुद्गलकी द्रव्यपर्यायें जानना चाहिये ।। जैसे--रबडका प्रसार, दूधसे दही होना, गाडीको गति, मुट्ठीका बधना आदि। ।
प्रपन ५७- गुरु, लघु, कोमल, कठोर ये गुण पर्याय है या द्रव्य पर्याय है ?