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गाथा २३,
१०३ है। यह स्वतन्त्र द्रव्य है।
प्रश्न ४- क्षेत्राणु किसे कहते है ?
उत्तर-- जो क्षेत्रमे अणु हो बह क्षेत्राणु है । क्षेत्राणु आकाशके एक प्रदेशको कहते है। यह स्वतन्त्र द्रव्य नहीं है, किन्तु आकाशद्रव्यका कल्पित देशांश है।
प्रश्न ५-- कालाणु किसे कहते है ?
उत्तर- अणुप्रमाण कालद्रव्यको कालाण कहते है। यह निश्चिय कालद्रव्य है। समयमे जो सबसे अरण हो उसे भी कालाणु कहते है यह समय नामकी पर्याय है । प्रश्न ६- भावारण किसे कहते है ?
समयPust
कालाका उत्तर-जो भावरूपसे अणु हो, सूक्ष्म हो वह भावाणु है भावाण से तात्पर्य यह चैतन्यसे है, अभेदविवक्षामे भावाण से जीवका भी ग्रहण होता है ।
प्रश्न - कालद्रव्य एक ही माना जावे और उसके प्रदेश असख्यान मान लिये जावं तो धर्मद्रव्यकी तरह इसकी व्यवस्था हो जावे ।
उत्तर- पदार्थोके परिणमन नाना प्रकारके होते है, उनके निमित्तभूत कालद्रव्य लोकाकाशके एक एक प्रदेशपर स्थित है । कालद्रव्य असख्यान ही है,। लोक Hal
प्रश्न - क्या कालद्रव्य उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्त है ?
उत्तर-कालद्रव्य उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्त है । नवीन समयके पर्याय रूपसे तो उत्पाद होता है और पूर्व समय पर्यायके व्यय रूपसे व्यय होता है और उत्पाद व्ययके आधारभूत कालद्रव्यके रूपसे ध्रौव्य है।
प्रश्न - कालद्रव्य न मानकर केवल घडी घटा समयादि व्यवहारकाल ही मान। जावे तो इसमे क्या आपत्ति है ?
उत्तर- व्यवहारकाल पर्याय है क्योकि वह व्यतिरेकी है और क्षणिक है । उस व्यव हार कालका आधारभूत कोई द्रव्य है ही। इस आधारभूत द्रव्यका नाम कालद्रव्य रखा है
प्रश्न १०-वास्तवमे तो कालद्रव्यका पर्याय समय ही है, समय समूहोमे कल्पन करके मिनट घण्टा आदि मान लिये, वे कैसे पर्याय हो सकते ?
उत्तर- वास्तवमे तो पर्याय समय ही है, अतः व्यवहारकाल भी वस्तुतः समय ही है तथापि वास्तविक समयोके समूह वाले मिनट घण्टा आदिका व्यवहार उपयोगी होनेसे उसे सबको भी व्यवहारकाल कहा है । इस प्रकार कालद्रव्यका वर्णन करके षड्द्रव्योमे से जो जो अस्तिकाय हैं उनका वर्णन किया जाता है
एव छब्भेयमिद जीवाजीवापभेददो दव्वं । , उत्त कालविजुत्त णायव्वा पच अस्थिकाया हु ॥२३॥