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द्रव्यसंग्रह--प्रश्नोत्तरी टीका
वारस पच गवा दो फासा श्रटु रिणच्चया जीवे ।
गो सति प्रमुत्ति तदो ववहारा मुत्ति बधादो ||७||
अन्वय- रिच्वया जीवे पच वण्ण रस दो गंधा ऋटु फासा णो सति तदो प्रमुत्ति, ववहारा बंधादो मुत्ति ।
अर्थ - निश्चयनयसे जीवमें पांच वर्ण, ५ रस, दो गध, ८ स्पर्श नही है, इसलिये जीव अमूर्त है । व्यवहारनयसे कर्मबन्ध होने के कारण जीव मूर्तिक है ।
प्रश्न १-- वर्ण किसे कहते है ?
उत्तर- वर्ण्यते अवलोक्यते चक्षुरिन्द्रियेन यः स वर्णं । चक्षुरिन्द्रियके द्वारा जो देखा जाता है उसे वर कहते है ।
प्रश्न २ - वर्ण द्रव्य है कि गुरण है या पर्याय ?
उत्तर - वर्णं द्रव्य नही है, वर्ण सामान्य गुरण है । वर्ण गुरण के परिणमन वर्णं पर्याय है ।
प्रश्न ३-- वर्णगुणके कितने परिणमन है ?
उत्तर - वर्णं गुणकी पर्याये असख्यात प्रकारकी है, किन्तु उन पर्यायोको सदृश जातियो सक्षिप्त करके देखा जावे तो पाँच पर्याये है- (१) कृष्ण, (२) नील, (३) रक्त, (४) पीत और (५) श्वेत ।
प्रश्न ४- ये पाचो पर्यायें एक साथ एक द्रव्यमे रह सकती है क्या ?
उत्तर-- एक द्रव्यमे एक वर्ण पर्याय ही रह सकती है । एक वर्णकी ही बात नही प्रत्येक द्रव्यमे जितने गुण होते है उनमे प्रत्येक गुरणकी एक-एक पर्याय ही एक समयमे उस द्रव्यमे होती है ।
प्रश्न ५ - रस किसे कहते है ?
उत्तर- रस्यते इति रम । जो रसनाइन्द्रियके द्वारा स्वादा जाय उसे रस कहते है । यह रक्षसामान्य तो गुरण है और रसपरिणमन पर्याय है ।
प्रश्न ६ - रस गुणके कितने परिणमन है ?
उत्तर - सक्षेपमे रस गुणके परिणमन पाँच है-- (१) तिक्त, (२) कटु, (३) कषाय, (४) अम्ल याने खट्टा श्रौर (५) मधुर अर्थात् मीठा ।
प्रश्न ७ - गन्ध किसे कहते है ?
उत्तर - गन्ध्यते इति गन्धः । घ्राणेन्द्रियके द्वारा जो सूघा जाय सो गन्ध है । गन्धसामान्य तो गुण है और गन्ध गुरणके परिणमन पर्यायें है ।
प्रश्न ८-- गन्ध गुणके कितने परिणमन है ?