________________
८२
द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका होती है और सज्ञो पञ्चेन्द्रियमे तीसरे गुणस्थान तकके सशो पञ्चेन्द्रिय जीवोमे होती है। इसके आगे १२वें गुणस्थान तक गौणरूपसे माना है । अर्थात् पर्याय मे है पर उसका
प्रश्न ७-कर्मचेतना किसे कहते है ? स्वामित्व नहीं है।
उत्तर-ज्ञानके अतिरिक्त अन्य भावोमे व पदार्थोमे मैं इसे -करता हू, ऐसा सवेदन करना कर्मचेतना है। कतत्वदाय
प्रश्न -- कर्मचेतना किन-जीवोके होती है ?
- उत्तर- कर्मचेतना द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, असज्ञी पञ्चेन्द्रियमे व तीसरे गुण-1 - स्थान तक सज्ञी पञ्चेन्द्रियोमे कर्मचेतना होती है । एकेन्द्रिय-जीवोमे-क्रियाकी मुख्यता न होने
से कर्मचेतना गौणरूपसे कही है चौथे गुरणस्थानसे १२वे गुणस्थान तकके जीवोमे अशमात्र भी विपरीत श्रद्धान न होनेसे मात्र रागद्वेष परिणतिके कारण कर्मचेतना-गौरणरूपसे मानी है)।
प्रश्न :-ज्ञानचेतना किसे कहते है ? उत्तर- अपनेको शुद्ध ज्ञानमात्र सचेतन करना ज्ञानचेतना है। प्रश्न १०- ज्ञानचेतना किनके होती है ?
उत्तर-ज्ञानचेतना चौथे गुणस्थानमे लेकर १४वें गुणस्थान तकके सब जीवोमे और सिद्धोमे होती है । १३वे, १४वें गुणस्थानवी जीवोके व सिद्धोके ज्ञानोपयोगका पूर्ण शुद्ध परिणमन होनेसे मुख्यरूपसे ज्ञानचेतना है ।
प्रश्न ११- पुद्गल किसे कहते है ?
उत्तर-जिसमे पूरन और गलनका स्वभाव हो उसे पुद्गल-कहते हैं । अनेक परमागुवोका मिलकर स्कन्ध हो जाना और बिखरकर खण्ड-खण्ड हो जाना वह -बात पुद्गलमे ही पाई जाती है।
प्रश्न १२-- एक पुद्गल-पदार्थ बिखर क्यो जाता है.?
उत्तर-जो स्कध है वह एक पुद्गल पदार्थ नहीं है । उसमे जो एक-एक करके अनेक परमाणु है जिनका कि दूसरा खण्ड कभी नही हो सकता, ऐसे-अखण्ड और सूक्ष्म है वे एकएक पुद्गल द्रव्य है।
प्रश्न १३- स्कन्ध क्या द्रव्य नही है ?
उत्तर-स्कन्ध समानजातीय द्रव्यपर्याय है अर्थात् पुद्गल-द्रव्यजातिके ही अनेक परमाणुवोका व्यञ्जनपर्याय है । निश्चयसे वहाँ भी जितने परमाणु है उतने ही उनके अपने-अपने मे परिणमन है।)
प्रश्न १४- पुद्गल कितने प्रकारके होते है ? उत्तर- सक्षेपसे तो पुद्गल २ प्रकारके होते हैं-(१) अणु याने परमाणु और