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द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १२- अन्य शरीर बनानेपर प्रात्मा अनेक क्यो नही हो जाते ?
उत्तर- अन्य शरीर बनानेपर भी मूलशरीर व अन्य शरीर तथा इसके अन्तरालमे उसी एक आत्माके प्रदेश फैले हुए होते है, अतः आत्मा एक ही है । हा, आत्मप्रदेशोका विस्तार वहां तक निरन्तर है ।
प्रश्न १३-- मूलशरीर और उत्तरशरीरमे क्रियाये तो अलग-अलग होती है, इसलिये क्या उपयोग अनेक मानने पडेंगे?
उत्तर-नही, एक ही उपयोगसे त्वरितगति होनेके कारण दोनो शरीरमे क्रियायें होती रहती है।
प्रश्न १४-विक्रियासमुद्घातमे आत्मप्रदेश कहां तक फैल जाते है ?
उत्तर-- जिसका जितना विक्रियाक्षेत्र है और उसमे भी जितनी दूर तक विक्रिया की जा रही है उतनी दूर तक आत्मप्रदेश फैल जाते है।
प्रश्न १५- मारणान्तिक समुद्घात किसे कहते है ?
-उत्तर-- मरण समयमे मूलशरीरको न छोडकर जहाँ कही भी आयु बाबी हो वहाँके क्षेत्रका स्पर्श करनेके लिये आत्मप्रदेशोका बाहर निकल जाना मारणान्तिक समुद्घात है । मारणान्तिक समुद्धात एक दिशाको प्राप्त होता है।
प्रश्न १६-- मारणान्तिक समुद्घातमे बाहर प्रदेश निकलनेके बाद पुन. मूलशरोरमे आते है अथवा नही?
उत्तर-मारणान्तिक समुद्घातमे जन्मक्षेत्रको स्पर्शकर आत्मप्रदेश अवश्य मूलशरीर मे आते है । पश्चात् सर्वप्रदेशोसे आत्मा निकलकर जन्मक्षेत्रमे पहुचकर नवीन शरीर अपना लेता है।
प्रश्न १७- मारणान्तिकसमुद्घात क्या सभी मरने वाले जीवोके होता है या किसी किसीके?
उत्तर-मारणान्तिकसमुद्घात उन्ही जीवोके हो सकता है जिन्होने अगले भवकी पहलेसे आयु बाध ली है और जिनके एतद्विपयक विलक्षण प्रातुरता होती है । इस समुद्धात की अपेक्षा त्रस जीव भी त्रसनालीसे बाहर पाये जा सकते है ।
प्रश्न १५-तैजससमुद्घात किसे कहते है ?
उत्तर- सयमी महामुनिके विशिष्ट दया उत्पन्न होने पर अयवा तीव्र क्रोध उत्पन्न होनेपर उनके दायें अथवा बायें कन्धेसे तैजसगरीरका एक पुतला निकलता है ! उसके साथ आत्मप्रदेशोका बाहर निकलना तैजमसमुद्घात है।
प्रश्न १६-तैजससमुद्घात कितने तरहका होता है ? सत्तर-तैजससमुद्घात दो तरहका होता है-(१) शुभ तेजससमुद्घात, (२) अशुभ