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द्रव्यसग्रह-प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १८-- यह गुणस्थान कितने प्रकारका है ?
उत्तर- अपूर्वकरण गुणस्थान दो प्रकारका है- (१) उपशमक अपूर्वकरण और (२) क्षपक अपूर्वकरण ।
इस गुणस्थानसे दो श्रेणियाँ हो जाती है-(२) उपशमश्रेणी और (२) क्षपकश्रेणी । जिस मुनिने चारित्रमोहनीयके उपशमके लिये अधःकरण परिणाम किया था वह उपशमश्रेणी ही चढता है, सो वह उपशमक-अपूर्वकरण होता है और जिस मुनिने चारित्रमोहनीयके क्षयके लिये अधःकरण परिणाम किया था वह क्षपकश्रेणी ही चढता है, सो वह क्षपक-अपूर्वकरण होता है।
प्रश्न १६-उपशमश्रेणीमे कौन कौन गुणस्थान होते है ?
उत्तर- उपशमश्रेणीमे ब्वा, हवा, १०वा, ११वा ये चार गुणस्थान होते है इसके बाद तो चारित्रमोहनीयके उपशमका काल समाप्त होनेके कारण नियमसे नीचे गुणस्थानमे आना पडता है।
प्रश्न २०-क्षपकश्रेणीमे कौन-कौन गुणस्थान होते हैं ?
उत्तर--क्षपकश्रेणीमे ८ वा, वा, १०वा, १२वा, १३वा, १४वा ये ६ : गुणस्थान होते है। इसके अनन्तर नियमसे मोक्ष प्राप्त होता है । क्षपकश्रेणी वाला नीचे कभी नहीं गिरता।
प्रश्न २१-इस अपूर्वकरण गुणस्थानमे क्या विशेष कार्य होने लगते है ?
उत्तर- इस गुणस्थानमे- (१) प्रतिसमय अनन्तगुणी विशुद्धि होने लगती है, (२) कर्मों की स्थितिका घात होने लगता है, (३) नवीन स्थितिबन्ध कम हो जाते है, (४) कर्मों का बहुतसा अनुभाग नष्ट हो जाता है, (५) कर्मवर्गणावोकी असख्यातगुणी निर्जरा होने लगती है, (६) अनेक अशुभप्रकृतिया शुभमे बदल जाती है ।
प्रश्न २२-अनिवृत्तिकरण किसे कहते है ?
उत्तर-जहा विवक्षित एक समयवर्ती मुनियोके समान' ही परिणाम हो और पूर्वोत्तरसमयवर्ती मुनियोके परिणाम विसदृश ही हो उसे अनिवृत्तिकरण कहते है । इस अनिवृतिकरण गुणस्थानमे चारित्रमोहनीयको २० प्रकृतियोका ८ बारमे उपशम या. क्षय हो जाता है। उपशमक अनिवृत्तिकरणके तो उपशम होता है और क्षपक अनिवृत्तिकरणके क्षय होता है ।
प्रश्न ,२३- चारित्रमोहनोयके उपशम या क्षयका क्रम क्या है। उत्तर-अनिवृत्तिकरण गुणस्थानके ६ भाग है, जिसमे
(१) पहिले भागमे तो चारित्रमोहनीयको किसी प्रकृतिका उपशम या क्षय नहीं होता, वहा नामकर्मादिकी १६ प्रकृतियोका उपशम या क्षय होता है ।