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व्यसग्रह--प्रग्नोत्तरी टीका जीवोंको खोजना लेश्यागागंणा है। लेश्यामागंणाकी अपेक्षा नीव ७ प्रकारके उपलब्ध होते हैं- (१) कृष्णलेश्यावान, (२) नीललेण्यावान, (१) कापोतलेश्यावान्, (८) पीतलेश्यावान, (५) पालेश्यायान, (६) शुक्ललेण्यावान और (७) लेण्यारहित ।
प्रश्न ५४ भव्यत्वमार्गणा किसे कहते है?
उत्तर-- जो रत्नत्रयये. पानेके योग्य होवें वे भव्य हैं और भव्यत्वकी दृटिसे जीवोको खोजना भव्यत्वमार्गणा है। इस मार्गग्गासे जीव ३ प्रकारके पाये जाते है-(१) भव्य, (२) प्रभव्य और (३) अनुभय (मिद्ध)।
प्रश्न ५५-सम्यक्त्वमागंणा किसे कहते है ? । ___ उत्तर-सम्यक्त्वकी दृष्टिसे जीवोका परिचय पाना सम्यक्त्वमार्गणा है । इस मार्गणा से जीव ६ तरहके उपलब्ध होते हैं-(१) मिथ्याष्टि, (२) सासादनमम्यक्त्ववान, (३) सम्यग्मिथ्यादृष्टि, (४) उपणमसम्यग्दृष्टि, (५) वेदकसम्यग्दृष्टि और (६) क्षायिकसम्यग्दृष्टि ।
प्रश्न ५६-सज्ञित्वमार्गणा किसे कहते है ? क्षयोपशम
उत्तर--सज्ञापनेकी अपेक्षासे जीवोको खोजना सज्ञित्वमागंणा है । इस मार्गणासे जीव ३ तरहके पाये जाते है- (१) सज्ञी, (२) असजी और (३) अनुभय (न सज्ञी, न असंजो)।
प्रश्न ५७-आहारकमार्गणा किसे कहते है ? घाना
उत्तर-जो जीव नोकर्मवर्गणावोको ग्रहण करता है वह पाहारक है व आहारकपनेकी दृष्टिसे जीवोका परिचय पाना आहारकमार्गणा है। इस मार्गणासे जीव दो तरहके पाये जाते है- (१) आहारक और (२) अनाहारक ।
प्रश्न ५८-इन मव भेदोका सक्षिप्त विवरण क्या है ?
उत्तर- विस्तारभयमे यहाँ विवरण नही करते । एतदर्थ गुणस्थानदर्पण व जीवस्थान चर्चा देखिये।
गुणस्थानदर्पणमे सर्वगुणस्थान व प्रतीतगुणस्थानका अनेक प्रकारसे विवरण है।
जीवस्थान चर्चाम-मार्गणावोका विशेष विवरण है तथा किस गुणस्थानमे व किस मार्गणाके भेदमे गुणस्थान मार्गणायें बध, उदय, सत्व, भाव, प्रास्रव आदि कितने-कितने होते है, यह विवरण सामान्यसे, पयतिनानायें, पर्याप्त एक जीवमे, पर्याप्त एक जीवके एक समयमे, अपर्याप्तनानायें, अपर्याप्त एक जीवमे, अपर्यात एक जीवके एक सग्यमे इतने-इतने प्रकारसे किया गया है।
प्रश्न ५६- इन मार्गणा स्थानोमे कौनसा स्थान निर्मल एव उपादेय है?
उत्तर- इन मार्गणावोमे अन्तिम भेद वाला स्थान कर्मोके क्षयसे प्रकट होनेके कारणे मल और उपादेय है।