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द्रव्यसग्रह--प्रश्नोत्तरी टीका प्रश्न १४४---ज्ञानप्रवाद पूर्वमे किम वातका वर्णन है और इसमे कितने पद है ?
उत्तर- इस पूर्वमे पांचो सम्यग्ज्ञान और तीनो मिथ्याज्ञानोके स्वरूप, भेद, विपय, फल आदिका वर्णन है । इसमे EEEEEEE पद है (एक कम एक करोड पद है।)
प्रश्न १४५---सत्यप्रवादपुर्वमे किस बातका वर्णन है और इसमे कितने पद है ?
उत्तर-शब्दोच्चारणके ८ स्थान, ५ प्रयत्नोका, वचनके भेद, बारह प्रकारको भापा, • दस प्रकारके सत्यवचन, अनेक असत्यवचन, वचनगुप्ति, मौन अादि अनेक वचन सम्बधी विषयो का वर्णन है । इसमे १ करोड ६ पद है ।
प्रश्न १४६---यात्मप्रवादपूर्वमे किस बातका वर्णन है और इसमे कितने पट है ?
उत्तर-इसमे प्रात्मतत्त्वसम्बर्ग विपयोका वर्णन है । जैने प्रात्मा किसे करता है, किसे भोगता है, आत्माका शुद्ध स्वरूप क्या है आदि । इसमे २६ करोड पद है।।
प्रश्न १४५ -कर्मप्रदादपूर्वमे विसका वर्णन है और इसमे कितने पद है ?
उत्तर-- इसमे कर्मकी अनेक अवस्थानोका वर्णन है । जैसे- कर्मोके मूल भेद वितने है ? उत्तर भेद कितने है ? बध, उदय, उदीरणा कैसे होती हे यादि । इसमे एक करोड अस्सी लाख पद है।
प्रश्न १४८-प्रत्याख्यानपूर्वमे किस वातका वर्णन है और इसमे कितने पद हैं ?
उत्तर-- इसमे द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव व पुरुपके सहननके अनुसा. सदोप वस्तुका त्याग, उपवासविधान, व्रत आदिका वर्णन है । इसमे ८४ लाख पद है ।
प्रश्न १४६- विद्यानुवादपर्वमे किस बातका वर्णन है और इसमे कितने पद है ?
उत्तर-- विद्यानुवादमे अगुष्ठपसेन प्रादि ७०० अल्पविद्या और रोहिणी प्रादि ५०० महाविद्यामोके स्वरूप, सामर्थ्य, साधनविधि और मन्त्र-तन्त्रका तया सिद्ध विद्याओके फलका वर्णन है । इसमे एक करोड दस लाख पद है।
प्रश्न १५०-- कल्याणवादपर्वमे वितने पद है और इसमे किसका वर्णन है ?
उत्तर-- इस पूर्वमे २६ करोड पद है और इसमे तीर्थकरोके पचकल्याणकोका, षोडश कारण भावनानोका, ग्रहण, शकुन आदिके फलोका वर्णन है।
प्रश्न १५१--प्राणानुवादपूर्वमे किस वातका वर्णन है और इसमे कितने पद है ? __उत्तर-इसमे आयुर्वेद सम्बन्धी चिकित्सा, नाडीगति, औषधियोके गुण अवगुण आदि सर्वविपयोका वर्णन है । इसमे १३ करोड़ पद है।
प्रश्न १५२-- क्रियाविशाल पूर्वमे किन बातोका वर्णन है और इसमे कितने पद है ?
उत्तर-सगीत, काव्य, अलकार, कला, शिल्पविज्ञान, गर्भाधानादि क्रिया आदि नित्य और नैमित्तिक क्रियाओका इसमे वर्णन है । इसमे ६ करोड पद है।